मधेपुरा:आज सोशल मीडिया पर twitter कैंम्पैनिंग के माध्यम से सभी एसटीइटी 2019 उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों ने एक स्वर में कहा सरकार ने फ्रेश विज्ञापन जारी करके परीक्षा लिया तो इन्हें सातवें चरण के नाम पर जानबूझकर क्यों लटकाया जा रहा है।सातवें चरण से इसका कोई लेना देना नहीं है। फिर भी सरकार बार न्यायालय में मामला होने का हवाला देकर अभ्यर्थियों को दिगभ्रमित क्यों कर रहे हैं। इससे सरकार के शिक्षा के प्रति उदासीन रवैया जग जाहिर होता है। राज्य भर के STET-2019 शिक्षक अभ्यर्थी द्वारा ट्विटर कैंपेन चलाया गया है। शिक्षक भर्ती के इस मुहिम को ट्विटर पर आठ लाख से अधिक लोगों का समर्थन हासिल हुआ(समाचार पत्र छपने तक)। पूरे दिन यह मुद्दा twitter पर भारत में प्रथम स्थान पर ट्रेंड करते रहा और राष्ट्रीय स्तर पर खुब सुर्खियां बटोरी।
*#बदहाल_माध्यमिक_शिक्षा_बिहार#BSTET2019_RESULT_AND_JOINING* भारत में यह मुद्दा टॉप 5 में सफर करता रहा। 2019 में 37440 रिक्तियों के लिए एसटीइटी परीक्षा हुई और इसका रिजल्ट भी विगत मार्च माह में दे दिया गया कुछ विषयों को छोड़कर अन्य सभी बिषयों का रिजल्ट भी दे दिया गया है। सरकार बहाली के दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है इन्हीं सब बातों को लेकर अभ्यर्थियों में काफी आक्रोश सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ इजहार किया। इस कोरोना काल में शिक्षक अभ्यर्थी आर्थिक, मानसिक, और सामाजिक उत्पीड़न का दंश झेल रहे हैं यह बेरोजगारी किसी अभिशाप से कम नहीं है। कहने को तो बिहार सरकार प्रत्येक पंचायत में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूल खोल दिया है लेकिन उनमें एक भी शिक्षक नहीं है क्या विद्यालय खोलने से ही बच्चों के भविष्य संवर जाएंगे उसमें तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की बहाली भी होनी चाहिए।
बिहार शिक्षक बहाली मोर्चा के प्रदेश सचिव सह शिक्षक बहाली मोर्चा के मधेपुरा जिलाध्यक्ष *रणधीर कुमार* ने सरकार पर जान बूझकर मामलें को अटकाने का आरोप लगाते हुए कहा की सरकार बहाली के प्रति पुरी तरह उदासीन है। बतातें चले कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम2005 के आलोक में राज्य में छात्र – शिक्षक अनुपात 1:35 होनी चाहिए।इस अधिनियम का खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। एक तरफ बिहार में शिक्षकों के लाखों पद रिक्त हैं और सरकार इसके प्रति गम्भीर नहीं है। सरकार की उदासीनता से राज्य के बच्चों के शैक्षिक अधिकारों का हनन हो रहा है। बिहार के छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने से वंचित होते जा रहें।बिहार में शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन नीचे गिरता जा रहा है। *STET-2019* उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों ने सरकार से अपील किया है कि अब शिक्षा विभाग के कार्यालय खुल रहें हैं तो राज्य सरकार को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर शीघ्र विचार करनी चाहिए। सरकार की उदासीनता इसी तरह से जारी रही तो लॉक डाउन समाप्ति उपरांत शिक्षक अभ्यर्थी मजबूर होकर सड़क पर उतरने को बाध्य होगें। जिला अध्यक्ष *रणधीर कुमार* ने बताया कि आज के ट्वीटर कैम्पेन को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीटर हेंडिल से समर्थन किया एवं नीतीश सरकार से कई सवाल पूछा है। अन्य नेताओं ने भी समर्थन किया है।
अभ्यर्थी सह शिक्षक बहाली मोर्चा के सोशल मीडिया प्रभारी सारंग तनय ने कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी 2012 से एसटीईटी एवं 2017 से ही बिहार टीईटी/सीटेट क्वालीफाई कर बेरोजगार बैठे हैं, लेकिन सरकार को उनकी कोई फिक्र नहीं है। देश मे सबसे ज्यादे शिक्षकों के पद बिहार में ही हैं लेकिन बेहद शर्मनाक है कि 2014 के बाद अब तक सात बर्षों बाद भी शिक्षकों की बहाली नहीं हो सकी है।देश में सबसे ज्यादा शिक्षकों के पद बिहार में ही रिक्त पड़े हुए हैं।
*सारंग तनय* ने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण बिहार की अधिकतर भर्तियां कोर्ट में ही लटक जाती है। उनका कहना है कि आखिर बहाली प्रक्रिया में ऐसा क्या लूपहोल छोड़ दिया जाता है कि मामले सालों तक अदालतों में लंबित रह जाते हैं? सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर किसी कारण बस मुकदमा हो भी जाए तो उसका त्वरित निष्पादन नहीं किया जाता है। इस भर्ती में भी सरकार ब्लाइंड फेडरेशन केस के मामले में त्वरित निष्पादन नहीं कर रही है। अगर राज्य सरकार वाकई शिक्षक भर्ती को लेकर गंभीर है तो ब्लाइंड केस के मामले में स्पेशल मैंशनिंग करा कर अर्जेंट हायरिंग क्यों नहीं करवा रही?
*आनंद भूषण* ने कहा कि एसटीईटी 2019 की परीक्षा ऑनलाइन मोड में 37440 पदों के लिए सितंबर 2020 में ली गई, एवं 12 मार्च 2021 को तीन विषय को छोड़कर रिक्ति के अनुसार ही रिजल्ट जारी किया गया बिहार बोर्ड के द्वारा। अब सरकार उस फ्रेश बहाली को भी सातवां चरण के नाम पर लटकाना चाहती है, जबकि जितनी रिक्तियां है उतने ही रिज़ल्ट जारी की गई है, फिर शिक्षा विभाग को बहाली करने में क्या दिक्कत है।माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी और शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी जी *एसटीईटी 2019* की भी अबिलम्ब बहाली करावें। इस मुहिम को सफल बनाने में सहयोग दे रहे शिक्षक अभ्यर्थी- ई.प्रिती सागर, रामाशीष कुमार, सुप्रिया, लेनिन कुमार,आभाष कुमार,अनिल कुमार, बबलू कुमार, शब्बीर आलम,ब्रजेश राजधान,गौतम कुमार , हरिश्चंद्र कुमार, रंजन यादव, सुधीर कुमार,प्रियंका कुमारी,शलैन्द्रर कुमार, रंजीत कुमार,मुन्ना कुमार,संतोष कुमार, ई.कुंदन कुमार कुदरत, रतन कुमार, आलोक कुमार, मनोज कुमार, कार्तिक कुमार, तेज नारायण कुमार ,अभिनंदन कुमार, पूजा प्रिया, सोनी राज, ललन कुमार, सौरभ कुमार, विनोद कुमार, नीलू कुमारी, निक्की कुमारी,दिलीप कुमार दिल, भारती कुमारी, कंचन माला, काजल कुमारी, सविता कुमारी,ओमप्रकाश सिंह,सुमन कुमार,राजा केशरी, *विभाष कुमार*, रतन कुमार ,आलोक कुमार,मनीष कुमार,अजीत कुमार, रामनरेश यादव, मंतोष कुमार प्रवीण कुमार,पंकज पथिक,अखिलेश कुमार,अमित कुमार,पिंटु कुमार, इत्यादि। इन सभी शिक्षक अभ्यर्थियों का भरपूर सहयोग मिला सभी एसटीइटी- 2019 में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने एक स्वर में कहा यदि सरकार हम लोगों की बहाली समय सीमा के अंदर जल्द पूरी नहीं करती है तो हम लोग सड़कों पर उतर कर उग्र आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे। एसटीइटी -2019 अभ्यर्थियों को छठा और सातवां चरण से कोई मतलब नहीं है इसमें जब विज्ञापित सीट के अनुरूप ही परिणाम दिया गया कोटिवार साथ ही एसटीईटी अंक पर ही मेधा सूची बनाने की बात की गई थी तो फिर अब सातवां चरण का बहाना बनाकर भर्ती फंसाने की साजिश क्यों रची जा रही है। बिहार सरकार की इस धटिया साजिश की जितनी भी निंदा की जाए वह बहुत कम होगी।
राहुल यादव
कोशी की आस@मधेपुरा