उत्तर भारत के सिल्क सिटी के नाम से मशहूर और बिहार के 5 प्रमुख शहरों में निश्चित रूप से स्थान रखने वाले भागलपुर में प्रशासन द्वारा आज तक दो पहिया अथवा चार पहिया वाहनों के लिए पार्किंग स्थल का निर्धारण नहीं किया गया है। उसी पार्किंग स्थल के निर्धारण की मांग को लेकर भागलपुर विवि के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ योगेन्द्र, उनकी पत्नी अलका और उनके पुत्र सुकांत के नेतृत्व में भागलपुर शहर के कोतवाली थाना के सामने लोग धरना पर बैठे हैं, ताकि बेवजह के जाम के साथ-साथ लोगों को पुलिस वालों के मनमाने चालान और गैरजिम्मेदार व्यवहार से बचाया जा सके।
आज के इस मतलबी दुनिया में जब लोग इतने व्यक्तिगत होते जा रहे हैं कि हम इस परिवार के सदस्य हैं, हम इस समाज से आते हैं, हम इस देश के नागरिक हैं, हमारी ये सब जिम्मेदारी है, यह सब बेकार की बातें हो गई है। किसी के साथ अगर कोई कुछ बुरा व्यवहार करता है तो, हमलोगों की सोच हो गई है कि उसके साथ न हुआ है, मेरे साथ तो नहीं न, मुझे क्यों पड़ना इस लफड़े में?
लेकिन इसी समाज में कुछ ऐसे भी हैं जो समय-समय पर अपने कर्तव्यों से लोगों को उनके कर्तव्य-बोध से अवगत कराते रहते हैं। और ज्यादा नहीं लपेटते हुए सीधे मुद्दे पर आते हैं।
हुआ यूँ कि दो दिन पहले भागलपुर विवि के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ योगेन्द्र के पुत्र सुकांत से भागलपुर पुलिस ने गलत जगह कार पार्क करने का जुर्माना वसूला। सुकांत ने एक जिम्मेदार नागरिक की भांति जब पुलिस वालों से पूछा कि शहर में कार पार्क करने के लिये प्रशासन ने कौन सी जगह तय की है? पता चला ऐसी कोई जगह नहीं?
अब सवाल उठता है कि जब स्थानीय प्रशासन द्वारा दो पहिया अथवा चार पहिया वाहनों के लिए पार्किंग स्थल का निर्धारण ही नहीं किया गया है, तो कौन गाड़ी पार्किंग जोन में हैं और कौन सा गाड़ी नो पार्किंग जोन में इसका निर्धारण कौन करेगा?
आज कितने लोग इस तरह से सवाल पूछते हैं? अथवा जनसाधारण के इन समस्याओं के समाधान के लिये धरने पर बैठते हैं?
पुलिस के अनुसार गलत जगह कार पार्क करने के जुर्माने के बाद सुकांत ने एक जिम्मेदार नागरिक के नाते अपने माता-पिता (श्रीमती अलका और डॉ योगेन्द्र) के साथ स्थानीय प्रशासन से निम्न माँगों के साथ धरना पर बैठने का निर्णय लिया है ताकि खुद के साथ-साथ सभी नागरिकों को अनुचित जुर्माने से बचाया जा सके-
१. जबतक भागलपुर में पार्किंग जोन नहीं बन जाता, तब तक कार/ बाइक जब्त करना बंद किया जाय।
२. नो पार्किंग का बोर्ड लगाया जाय।
३. नागरिक के साथ पुलिस सम्मान पूर्वक व्यवहार करे।
अंत में बस इतना कि इस धरने के माध्यम से पिछले दो-तीन दशकों से लगभग नदारत हो चुके असल नागरिक बोध को डॉ योगेन्द्र उनकी पत्नी अलका और उनके पुत्र सुकांत बचाने में जुटे हैं। अपनी शांति और अपने कीमती वक़्त को दाव पर लगाकर।
सौजन्य – पुष्यमित्र जी एवं अखिलेश कुमार जी के फ़ेसबुक से।
स्पेशल डेस्क
कोशी की आस@रायपुर