गोदभराई रस्म में अच्छे पोषण पर दी गयी जानकारी, बेहतर पोषण से ही संभव है हेल्दी बेबी

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मुंगेर/ 7 मार्च : जिले के सभी प्रखंड मे सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर गोदभराई की रस्म का आयोजन किया गया। शहर के आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या 123 एवं 103 सहित दर्जनों सेंटरों पर उल्लासपूर्वक पोषण माह का शुरुआत हुआ। केन्द्र संख्या 123 में खुशबू देवी एवं केन्द्र संख्या 103 में सोनी देवी की गोद भराई किया गया। आंगनबाड़ी सेविका शोभा केशरी एवं शोभा देवी ने बताया कि गर्भ से ही माताओं को समुचित आहार का सेवन करना चाहिए। डीपीओ ने बताया गोदभराई कार्यक्रम के दौरान सात से नौ महीने की गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की गयी। इस दौरान गर्भवती महिलाओं व बच्चों के देखभाल को लेकर कई जानकारी भी दी गयी।

शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं के लिए यह एक उत्सव का माहौल था। उन्हें लाल चुनरी ओढाया गया और इसके साथ ही उन्हें दुल्हन की तरह सजाया गया था. माथे पर लाल टीका लगा कार्यक्रम की शुरुआत हुई। गोदभराई के दौरान महिलाओं को विभिन्न व्यंजनों में शामिल सतरंगी फल, सूखे मेवे आदि भेंट स्वरूप दी गयी। इस दौरान उनके पतियों को भी पोषण संबंधी जानकारी दी गयी। उन्हें बताया गया कि गर्भावस्था में महिला को दिन में कम से कम पांच बार अवश्य खाना चाहिए। खाने में मौसमी फल व सब्जियों के साथ दाल, सोया व दूध की बनी चीजें लेनी चाहिए। खाने में अंडा मांस मछली भी शामिल करें लेकिन इनका अच्छी तरह पका होना बेहद जरूरी है। फल धो कर खायें अन्यथा संक्रमण का खतरा रहता है. गर्भवती महिला के शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा हो, इसके लिए पानी के साथ नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ, ताजा फलों का रस, सूप आदि नियमित तौर पर लिया जाये. गर्भावस्था के दौरान जंक फूड खाने से परहेज करें. ऐसे खानों में उच्च मात्रा में फैट से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।

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इस अवसर पर जिले की डीपीओ रेखा कुमारी ने बतया गर्भवती महिलाओ को गर्भावस्था मे खान-पान का हमेशा ध्यान रखना चाहिये। रोज हरे साग –सब्जी ,मूँग का दाल एवं अगर महिला मांसाहारी हो तो अंडे के साथ मछ्ली का प्रयोग सप्ताह मे दो से तीन बार जरूर करना चाहिये। इस दौरान वसा की भी जरूरत होती है. इसके लिए महिलाओं को चिकनाई पूर्ण खाद्य पदार्थों का सेवन जरुर करना चाहिए। सुरक्षित प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में ही प्रसव कराना चाहिए. इसके लिए गाँव की आशा से नियमित सलाह भी गर्भवती महिलाओं को लेते रहना चाहिए ताकि गर्भ के आखिरी दिनों में किसी संभावित जटिलता से बचा जा सके।

आखिरी महीनों में जरुरी है बेहतर पोषण, गर्भ के आखिरी महीनों में शरीर को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस दौरान आहार में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट के साथ वसा की भी मात्रा होना जरुरी होता है। साथ ही डॉक्टर की सलाह से फोलिक एसिड व विटामिन डी जैसे स्पलीमेंट लेना जरूरी होता है। फोलिक एसिड लेने से बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट विकसित होने का खतरा कम हो जाता है। वहीं विटामिन डी गर्भवस्थ शिशु की हड्डी को मजबूत बनाता है। गर्भवती महिला का प्रसव पूर्व जांच व आवश्यक टीकाकरण जरूर होना चाहिए। अच्छे खानपान के साथ संपूर्ण टीकाकरण को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। पहली बार गर्भधारण करने पर डॉक्टरी सलाह से टिटनेस के टीके लगवाने चाहिए।

बच्चों में कुपोषण के परिणाम डॉ के रंजन ने बच्चों में कुपोषण के परिणाम को बताते हुए कहा कि इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम जाता है, बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं, कुपोषित बच्चा स्वस्थ बच्चे की तुलना में धीरे-धीरे सीखता है जिससे उसका मानसिक विकास धीमा होता है, कुपोषित बच्चों की विद्यालय में दक्षता कम होती है जिससे इनकी विद्यालय छोड़ने की संभावना ज्यादा होती है। जन्म के दो साल तक कुपोषित रहने वाले बच्चे बड़े होने पर वयस्क जीवन में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ह्दय रोग और मोटापे का शिकार हो सकते हैं। खासतौर पर जब उनका वजन दो साल के बाद तेजी से बढ़ा हो। यह कहा कि कुपोषण की उपेक्षा करके, हम अपने बच्चों तथा समाज के भविष्य की उपेक्षा कर रहे हैं। कुपोषण पर ध्यान देना अत्यंत जरुरी है।

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