जिसकी दुनिया दिवानी है वो बिहार के मैथेमैटिक्स गुरू का दिवाना है । जिसे बिन मांगे सभी कुछ-ना-कुछ देना चाहते है, वह जीवन का ज्ञान बिहार के शिक्षक से ले रहा है। दुनिया के लिए अबूझ पहेली बना गूगल ब्वाय कौटिल्य पंडित बिहार के रोहतास के विक्रमगंज निवासी चर्चित मैथेमैटिक्स गुरू आर के श्रीवास्तव से गणित का ज्ञान सीख रहा है।
कौटिल्य पंडित गणितज्ञ आर के श्रीवास्तव के गणित पढाने के तरीके से काफी प्रभावित हैं। यह वही कौटिल्य पंडित है जिसे 4 वर्ष की उम्र में कौन बनेगा करोड़पति 2013 में बतौर मेहमान बुलाया गया था। दुनिया को हर कोने और क्षेत्रों की जानकारी रखने वाले इस बच्चे से अभिनेता अमिताभ बच्चन ने रूबरू कराया था, तब से लेकर आज तक सैंकड़ों स्थान पर मेहमान बने कौटिल्य को प्राइड ऑफ़ इंडिया समेत कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है।
कौटिल्य के दादा जी का क्या मानना है?
कौटिल्य के दादा जय कृष्ण शर्मा ने बच्चों को संदेश देते हुए कहा कि कौटिल्य कोई “गॉड गिफ्टेड” नहीं है। यह भी आप लोगो की तरह है, बस एक बार जो देख लेता है, कभी भूलता नहीं। आप भी कौटिल्य बन सकते हो। और उन्होंने सबसे बड़ी बात यह कही कि देश का सबसे बड़ा जीनियस देश के सबसे कम पढ़ने वाले बच्चो में से है। वहीं कौटिल्य के पिता सतीश शर्मा ने कहा कि इस चन्द्रगुप्त के चाणक्य आर के श्रीवास्तव है।
कौन हैं ये मैथेमैटिक्स गुरू आर के श्रीवास्तव?
बिहार के प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया में पिछले कुछ वर्षों से मैथेमेटिक्स गुरू आर के श्रीवास्तव के नाम से मशहूर आर के श्रीवास्तव के द्वारा आर्थिक रूप से गरीबों की नहीं रूकेगी पढ़ाई अभियान चलाया जा रहा है, जिसका लाभ से आज काफी गरीब बच्चे आइआइटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानो में जा चुके है।
अपनी माँ के हाथो से प्रत्येक वर्ष आर्थिक रूप से गरीबों को निःशुल्क काॅपी किताबे बटवाते हैं।
विक्रमगंज जैसे एक छोटे से शहर में इंजीनियरिंग की तैयारी करते छात्रों के नन्हें सपनो को साकार करने की जदोजहद में लगे आर के श्रीवास्तव की जिंदगी भी कम दिलचस्प नहीं है। बचपन के 5 वे साल में पिता पारसनाथ लाल के गुजरने से अनाथ हुए श्रीवास्तव को युवा अवस्था में भी एक जोरदार का झटका लगा। पिता के स्थान पर बड़े भाई शिव कुमार श्रीवास्तव का साथ भी उनकी मृत्यु के साथ 2014 में छूट गया।
गणित पढ़ाने की दीवानगी का नाम है आर के श्रीवास्तव
मशहूर शिक्षक मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव जादुई तरीके से गणित पढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी पढ़ाई की खासियत है कि वह बहुत ही स्पष्ट और सरल तरीके से समझाते हैं। सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, चुटकुले बनाकर सवाल हल करना आरके श्रीवास्तव की पहचान है। गणित के लिये इनके द्वारा चलाया जा रहा निःशुल्क नाईट क्लासेज अभियान पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है, पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाना कोई चमत्कार से कम नहीं।
12 घंटे लगातार गणित पढ़ाने का रिकॉर्ड
इस क्लास को देखने और उनका शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिए कई विद्वान इनका इंस्टीटूट देखने आते है।नाईट क्लासेज अभियान हेतु स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने और गणित को आसान बनाने के लिए यह नाईट क्लासेज अभियान अभिभावकों को खूब भा रहा। स्टूडेंट्स के अभिभावक इस बात से काफी प्रसन्न दिखे की मेरा बेटा बेटी जो ठीक से घर पर पढ़ने हेतु 3-4 घण्टे भी नहीं बैठ पाते, उसे आरके श्रीवास्तव ने पूरे रात लगातार 12 घण्टे पूरे कंसंट्रेशन के साथ गणित का गुर सिखाया। आपको बताते चले कि अभी तक आरके श्रीवास्तव के द्वारा 200 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को निःशुल्क गणित की शिक्षा दी जा चुकी है और यह लगातार जारी है।
इनके नाम कई वर्ल्ड रिकॉर्ड है दर्ज
आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है। आरके श्रीवास्तव गणित बिरादरी सहित पूरे देश मे उस समय चर्चा में आये, जब इन्होंने क्लासरूम प्रोग्राम में बिना रुके पाइथागोरस थ्योरम को 50 से ज्यादा अलग-अलग तरीके से सिद्ध कर दिखाया। आरके श्रीवास्तव ने कुल 52 अलग-अलग तरीको से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया, जिसके लिए इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन में दर्ज चुका है।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन के छपी किताब में यह जिक्र भी है कि बिहार के आरके श्रीवास्तव ने बिना रुके 52 विभिन्न तरीकों से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। इसके लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने आरके श्रीवास्तव को इनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाये भी दिया। इसके अलावा आरके श्रीवास्तव ने संख्या 1 क्या है? पर शैक्षणिक सेमिनार में घण्टों बोलकर अपने प्रतिभा से बिहार को गौरवान्वित कराया है।
गणित से करें प्यार
आरके श्रीवास्तव गणित को हौवा या डर होने की बात को नकारते हैं। वे कहते हैं कि यह विषय सबसे रुचिकर है, इसमें रुचि जगाने की आवश्यकता है। अगर किसी फॉर्मूला से आप सवाल को हल कर रहे हैं तो उसके पीछे छुपे तथ्यों को जानिए। क्यों यह फॉर्मूला बना और किस तरह आप अपने तरीके से इसे हल कर सकते हैं। वे बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गणित में बहुत अधिक रुचि थी जो नौंवी और दसवी तक आते-आते परवान चढ़ी।
बिमारी के चलते नहीं दे पाए थे IIT की परीक्षा
आरके श्रीवास्तव अपने पढ़ाई के दौरान टीबी की बीमारी के चलते नहीं दे पाये थे आईआईटी प्रवेश परीक्षा, उनकी इसी टिस ने बना दिया सैकड़ो स्टूडेंट्स को इंजीनयर, आर्थिक रूप से गरीब परिवार में जन्मे आरके श्रीवास्तव का जीवन भी काफी संघर्ष भरा रहा ।
गुरु दक्षिणा मात्र एक रुपया
आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर पढ़ाते है गणित, प्रत्येक अगले वर्ष 1 रुपया अधिक लेते है गुरु दक्षिणा। सैकड़ों आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई में सफलता दिलाकर बना चुके है इंजीनियर। वे कहते हैं कि मुझे लगा कि मेरे जैसे देश के कई बच्चे होंगे जो पैसों के अभाव में पढ़ नहीं पाते।
महान गणितज्ञ रामानुज को मानते हैं आदर्श
आरके श्रीवास्तव अपने छात्रों में एक सवाल को अलग-अलग मेथड से हल करना भी सिखाते हैं, वे सवाल से नया सवाल पैदा करने की क्षमता का भी विकास करते हैं। रामानुजन और वशिष्ठ नारायण सिंह को आदर्श मानने वाले आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के युग में गणित की महत्ता सबसे अधिक है, इसलिए इस विषय को रुचिकर बनाकर पढ़ाने की आवश्यकता है।