महात्मा गांधी का मानना था कि साफ-सफाई, ईश्वर भक्ति के बराबर : संजय यादव

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खगड़िया। गाँधी जयंती के अवसर पर हम पाार्टी के सभी सदस्यों द्वारा गाँधी जयंती धूम धाम से मनाई गई। सबसे पहले गाँधी जी के प्रतिमा पर हम के जिलाध्यक्ष संजय यादव द्वारा पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया और माल्यार्पण किया । कार्यालय में
उपस्थितत ने गाँधी जी के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम गाकर उन्हें याद किया। संजय यादव ने कहा कि आज बहुत खास दिन है आज के ही दिन देश के दो महापुरुषों का जन्म हुआ था। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ।

गाँधी जी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गाँधी जयंती की सबसे खास बात यह है कि आज के दिन पूरे दुनिया में अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखाने वाले महात्मा गांधी ने देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति दिलाने में जी-जान लगा दिया। उन्होंने लोगों के बीच देशभक्ति की अलख जगाने के साथ ही, नस्लीय व जातिगत भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों पर भी हमला किया। वे हमेशा कहते थे कि किसी भी तरह के विरोध का मार्ग हिंसात्मक नहीं हो सकता है। अहिंसा में जो शक्ति है, उसकी जगह हिंसा कभी नहीं ले सकती है। इन्हीं विचारों के बूते दुनियाभर में उनकी ख्याति नहीं भूल सकती।

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि साफ-सफाई, ईश्वर भक्ति के बराबर है और इसलिए उन्होंने लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा दी थी और देश को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। उनका कहना था कि उन्होंने ‘स्वच्छ भारत’ का सपना देखा था जिसके लिए वे चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एकसाथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। महात्‍मा गांधी के स्‍वच्‍छ भारत के स्‍वप्‍न को पूरा करने के लिए गाँव गाँव जाकर लोगों को जागरूक किया।

नगर पार्षद रणवीर कुमार ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया था। शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में दो अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था। देश की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री का खास योगदान है। साल 1920 में शास्त्री ने भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे। स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं। शास्त्री ने ही देश को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था।

कोशी की आस@खगड़िया

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