पिछले 15 वर्षों से बिहार शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी रहा-आई एच रब्बानी।

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अबू फ़रहान छोटू
कोशी की आस@किशनगंज

बिहार सरकार द्वारा न्याय के साथ विकास करने की बात अब सिर्फ सुनने में ही अच्छा लगता है। पिछले 15 सालों में बिहार अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे नीचे पायदान में पहुँच चुका है। नीति आयोग की माने तो शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सबसे पिछले श्रेणी पहुँच गया है। बिहार स्टेट उर्दू टीचर्स एसोसिएशन के जिला सचिव आई एच रब्बानी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब से बिहार की बाग़ डोर संभाले हैं, सिर्फ-और-सिर्फ लालू के शासन काल की दुहाई देकर अपने आपको बड़ी कर लेते हैं।

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उन्होंने कहा कि नीति आयोग के अनुसार 2005 से 2020 तक हर क्षेत्र में बिहार देश के अन्य राज्यों के मुकाबले पीछे रहा है। नीतीश सरकार बिहार में शिक्षा और शिक्षकों का बंटाधार करके शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने में जरूर सफल हुए हैं। सरकार आज समाज में शिक्षकों की गरिमा को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। बिहार के लगभग चार लाख नियोजित शिक्षकों की मूल-भूत मांगों को सरकार जिस तरह से दरकिनार कर रही है, इससे स्पष्ट होता है कि शिक्षा को लेकर बिहार सरकार की नीति और नियत दोनों में खोंट है।

आगे कहा कि नियोजित शिक्षकों को अयोग्य कहने वाली सरकार पहले ये बताएं कि पिछले 15 वर्षों से बिहार देश के अन्य राज्यों से विकास के मामले में कैसे पीछे रह गए। सरकार स्वयं अयोग्य होकर अन्य राज्यों से निचले पायदान पर जा पंहुचा है। लेकिन इसका ठीकरा नियोजित शिक्षकों पर फोड़ दिया जाता है, अब समाज को तय करना है कि अयोग्य कौन है।

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