किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड के क्वारन्टीन सेन्टरों में प्रवासी मजदूरों का बुरा हाल है। एक तो वे मुसीबत झेलकर किशनगंज के टेढ़ागाछ पहुंचे हैं। जहाँ उनके लिए बनाए गए क्वारन्टीन सेन्टरों में ठहराव के लिए आवश्यक वस्तुओं की पहले से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उन्हें प्रखंड के अस्पताल में जाँच करने के बाद उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय बेणुगढ़ में लाया गया है। जहाँ उन्हें जानवरों की तरह कमरे में एक दरी देकर भर दिया गया। फिर रात का भोजन कराने के बाद उन्हें बाहर से ग्रिल में ताला लगाकर सभी संबंधित प्रभारी, अधिकारी व रात्रि प्रहरी सबके सब वहां से गायब हो गए। फिर आठ बजे सुबह तक कोई प्रवसियों को देखने वाला नहीं था।
प्रवासी मजदूरों ने बताया जब उन्हें अंदर में बंद कर के सभी चले गए तो उन्हें चापाकल एवं शौचालय उपयोग करने के लिए आठ बजे सुबह तक इंतजार करना पड़ा। आप सोच सकते हैं कि प्रवासियों के देख रेख में जुटे लोग इतना लापरवाह होंगे तो उन प्रवासी मजदूरों का क्या हाल होगा, जिसे आपातकालीन स्थिति में शौच करने जाना पड़े तो वे कहाँ जाये और क्या करें? इसका जिम्मेदार लोगों का तनिक भी ख्याल नहीं होना काफी शर्मनाक बात है। ज्ञात हो कि इस क्वारन्टीन सेंटर में विगत रात 54 प्रवासी मजदूर अपनी जिंदगी से लज्जित हो रहे थे और अधिकारी मजे से आठ बजे सुबह फिर क्वारन्टीन जाने तक बेखबर हो रहे थे।
अबू फरहान छोटू
कोशी की आस@किशनगंज