मधेपुरा: कोरोनाकाल में अपनी जान की परवाह किये बिना कर रहे लोगों की मदद,सोशल साइट्स को बनाया मदद का जरिया

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मधेपुरा: उदाकिशुनगंज मुख्यालय के दैनिक भास्कर वह नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के पत्रकार गौरव कुमार ठाकुर कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की मदद कर रहे हैं। देश और बिहार में विभिन्न जिलों में कोरोना मरीज़ की संख्या लगातार बढ़ रही है।जिससे बिहार में 6 बजे संध्या से लेकर 6 बजे प्रातः तक कर्फ्यू लगा दिया गया है जिससे आमजन काफी परेशान हो रहे हैं। वहीं सरकार के दावों के मुताबिक आमलोगों के लिए रोजमर्रा की चीजें उपलब्ध है लेकिन जमीनी स्तर पर आमलोगों को काफी दिक्कत आ रही है। इस मुश्किल वक़्त में बिहार के कई युवा आगे बढ़कर लोगों की मदद कर रहे हैं। ऐसे हीं एक युवा से हम आपको मिलवाने जा रहे हैं जिनका नाम है गौरव कबीर।

गौरव सामाजिक कार्यों में हमेसा से आगे रहे हैं और वह पेशे से एक अखबार के पत्रकार भी हैं। उनकी रुचि हमेसा लोगों की सेवाभाव करने में रही है। कई बार वह मदद के लिए अपने कई खास चीजों को खो भी चुके हैं। वह मदद करने के लिए क्षेत्र के अधिकारियों,जनप्रतिनिधियों और विधायक,मंत्री तक से हाथ फैलाकर मदद माँगते हैं और आमलोगों की मदद करते हैं। गौरव जैसे ना जाने कितने युवा बिना जान की कोई परवाह किए लोगों की मदद कर रहे हैं और जितना हद तक बन पाता है वह मदद को आगे आते हैं। एक व्यक्ति को पटना के बड़े संस्थान एनएमसीएच, आईजीएमएस,ऐम्स जैसे बड़े संस्थान में सोशल मीडिया की मदद से नम्बर लगवाकर ईलाज के लिए भिजवाया। हालाँकि उन्हें मदद करने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है लेकिन वह इस बात से खुश हो जाते हैं कि अंततः उनकी मदद की गई। कई बार मदद नहीं भी कर पाते हैं तो वह चिंता नहीं करते अपने हौसले को और मजबूत कर मदद करते हैं। जब हमारी टीम ने उनसे बात की तो गौरव कबीर ने कहा कि यह महामारी का वक़्त है लोग परेशान हैं,कई मजदूर और अन्य लोग कई मामलों को लेकर उन्हें फ़ोन करते हैं।

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एक पत्रकार और एक समाजसेवी होने के नाते वह पूरी कोशिश करते हैं कि लोगों की मदद की जा सके।सोशल साइट्स और अन्य माध्यम से वह लोगों की मदद करते हैं। कभी कभी जिन लोगों की मदद की है उनका नाम या उनकी कोई भी जानकारी सोशल साइट्स या अन्य जगहों पर सार्वजनिक नहीं करते। कई लोगों की मदद उन्होंने की है लेकिन कभी उनका नाम सार्वजनिक नहीं किया। क्रेडिट लेने के लिए आज के कई युवा तस्वीर या अन्य चीजें तुरंत साझा कर देते हैं जिसे वह अपने नज़रिए से गलत मानते हैं। उनका मानना है कि मदद बिना किसी को बताए भी कि जा सकती है। देश की स्थिति खराब है और ऐसे में किसी की स्थिति दयनीय हो सकती है। यदि वह मदद की जानकारी को सार्वजनिक करते हैं तो कहीं ना कहीं उन्हें बुरा लगता है। आगे गौरव कहते हैं कि आप किसी की भी मदद करें तो उनका नाम,पता,मोबाइल नंबर सार्वजनिक ना करें। हाँ कई मामले हैं जिनमें नाम,पता या अन्य चीजें आप सार्वजनिक कर सकते हैं। गौरव कबीर से कई लोग, फ़ेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम के ज़रिए संपर्क कर रहे हैं। एक मजदूर वर्ग के व्यक्ति को चावल सहित अन्य खाद्यान्न की कमी थी। उन्होंने फ़ोन के माध्यम से उनसे सम्पर्क किया तो गौरव ने स्थानीय लोगों की मदद से उनकी खाद्यान की समस्या को दूर किया।

बीते कुछ दिनों पहले एक बुजुर्ग महिला जो कि 60 से 70 वर्ष की होगी। कई दिनों से उनके पास राशन नहीं था। गांव के लोगो के मदद से गौरव को सूचना मिली। फिर क्या था गौरव ने तुरंत जितना हो सका उनकी मदद की। गौरव ने बताया हम मुश्किल के इस समय में जो थोड़ी-बहुत मदद कर सकते हैं, वो हम कर रहे हैं। हालांकि उनकी भी आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं रही है लेकिन उनके हौसले ने उन्हें कभी कमजोर नहीं किया। उदाकिशुनगंज के कई लोगों की स्थिति कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से खराब होने लगी। ऑक्सीजन की मांग की जाने लगी तो गौरव ने स्थानीय अधिकारियों से वार्ता कर उनलोगों की मदद की। आगे बात करते हो उन्होंने बताया कि कई बार कुछ लोगों के द्वारा गलत सूचनाएं भी मुहैया करा दी जाती है जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनकी टीम इतनी बड़ी नहीं है जिससे वह सूचनाओं को वेरीफाई करें उसके बाद उसकी मदद करें। जैसे ही उनके पास कोई सूचना पहुंचती है वह तुरंत क्षेत्र के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से बात कर उन्हें बस सुविधा मुहैया कराने की मशक्कत में लग जाते हैं।

हालांकि धीरे-धीरे कौन सी टीम में कई लोग शामिल हो रहे हैं और उन्हें सहूलियत हो रही है। गौरव कबीर आगे बताते हैं कि यदि उनके पास कोई एनजीओ संस्थान या अन्य समाजसेवी की मदद का जरिया होता तो वह और लोगों की मदद कर पाते।स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। ऐसे में लोगों को एक दूसरे की मदद के लिए सामने आना ही होगा।हम एक साथ मिलकर इस वैश्विक महामारी से लड़ सकते हैं और अंततः विजय पा सकते हैं। देश में स्वास्थ्य सेवा में संसाधनों की कमी है इस वजह से लोग समुचित इलाज नहीं करा पाते हैं। बिहार की राजधानी पटना में हजारों लोग लाइन में लगकर बड़े-बड़े संस्थानों में इलाज करवाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। वहीं बिहार के युवा भी बड़े पैमाने पर लोगों की मदद करने में जुटे हुए हैं हालांकि आजकल के कई युवा सोशल साइट को महज एक मनोरंजन का जरिया समझ कर उनका उपयोग कर रहे हैं। लेकिन सोशल साइट्स के माध्यम से हम बड़े पैमाने पर एक दूसरे लोगों से जुड़ कर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं यह आसान भी है।

सोशल साइट पर एक संदेश लिख देने से आप से जुड़े हुए हजारों लोग उस पोस्ट को देखते हैं। जिससे कई लोग सहमत होकर उन्हें फॉरवर्ड करते हैं और सूचना आगे भेजने का कार्य करते हैं। शुरुआती दौर में और आज भी क्षेत्र की कई लोग उनका मजाक उड़ाते हैं और कहते हैं कि अकेले कितने लोगों का मदद कर पाएंगे। इससे वह घबराते नहीं हैं। ऐसी आलोचनाओं को मैं अपना हथियार समझकर और मजबूत होते हैं हालांकि क्षेत्र के कई लोग उनसे संपर्क कर उनके कार्य की सराहना भी करते हैं जिससे वह सभी बातों को भूल कर पुनः मदद में जुड़ जाते हैं। गौरव कबीर कहते हैं कि ज़रूरत पड़ी तो वह एनजीओ एवं अन्य संस्थानों सहित क्षेत्र के अधिकारी,जनप्रतिनिधि के समक्ष हाथ फैला कर,भिक्षा मांग कर भी लोगों की मदद करेंगे। लेकिन वैश्विक महामारी से जीत कर आगे ज़रूर आएंगे। बिहार के प्रत्येक घरों में एक दूसरे के मदद करने की भावना आज भी जीवंत है। यहां के लोग सुख में भले हीं किसी के साथ नहीं हो लेकिन दुख में हमेशा एक दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर चला करते हैं।गौरव कबीर मूलरूप से बिहार के मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज अनुमण्डल के निवासी हैं। उनकी उम्र 26 वर्ष है। बेहद छोटे और मध्यमवर्गीय परिवार में उनका लालन-पालन हुआ है। चार भाईयों में वह सबसे छोटे हैं। लोगों की सेवाभाव की भावना उनके अंदर बचपन से हीं थी। छोटे स्थान से होने के कारण उन्हें ठीक से किसी चीज की मदद नहीं मिली। क्षेत्र के युवाओं से उनका खासा लगाव है। वह प्रायः युवाओं के बीच किसी ना किसी मुद्दे को लेकर चर्चा करते दिखते रहते हैं। हालाँकि उनके जीवन में आज भी कई उतार-चढ़ाव हैं। कई विवादों में भी वह राजनीतिक शंडयंत्र का शिकार हुए।उदाकिशुनगंज के लोगों ने उनकी मदद कर उन्हें आगे लाये हैं। वह कहते हैं कि उदाकिशुनगंज के तमाम लोगों ने हीं उन्हें इस काबिल बनाया है जिनका वे ताउम्र कर्जदार रहेंगे।

प्रीतम कुमार
कोशी की आस@उदाकिशुनगंज, मधेपुरा

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