स्वामी चंद्रानंद जी महाराज के देहावसान के बाद गुरुवार को चौसा स्थित उनके पैतृक घर पर एक श्रद्धांजलि सभा व सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर कई संतों ने स्वामी चंद्रानंद जी महाराज के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर चर्चा की। कार्यक्रम की शुरुआत सत्संग, भजन, स्तुति, ग्रंथ पाठ से किया गया। भागलपुर कुप्पाघाट से आए स्वामी स्वरूपानंद बाबा ने कहा कि मनुष्य सुख की खोज में मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारा आदि तीर्थ स्थलों में भटकता रहता है लेकिन संत महात्मा बताते हैं कि असली सुख मनुष्य के अंदर है। असली सुख पाने का जरिया सत्संग,ध्यान है। मनुष्य का शरीर ही है जिसमें ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है।
परमात्मा की असीम कृपा से जीव 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य का शरीर पाता है। मनुष्य के शरीर में ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। उसके लिए संत महात्माओं के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर सत्संग ध्यान करने के बाद ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है। पूज्य प्रमोद बाबा ने अपने संबोधन में कहा कि जिसका जन्म हुआ है उनकी मृत्यु निश्चित है। मृत्यु ही एक निश्चित है इसलिए समय रहते लोगों को ईश्वर भजन करना चाहिए जिससे उसका लोक एवं परलोक दोनों सुख में हो। ब्रह्मचारी संजय दास जी ने कहा कि स्वामी चन्द्रानंद के आकस्मिक निधन हो जाने से समस्त साधु-समाज में गहरा शोक व्याप्त हो गया। उन्होंने कहा कि स्वामी चन्द्रानंद दलितों, पिछड़ों, गरीब व शोषित वर्ग को सही मार्ग पर लाने के लिए जीवन भर कार्य करते रहे। उन्होंने कहा कि जब धरती पर अधर्म बढ़ता है तो उसके निवारण के लिए संतों का अवतरण होता है।
सत्संग के बाद आयोजित श्रद्धांजलि सभा के मौके पर स्वामी चंद्र आनंद बाबा के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और लोगों ने उनके बताए मार्ग पर अमल करने का वचन लिया। इस मौके पर संजय ब्रह्मचारी, डोमी दास, डॉ विष्णु देव दीनबंधु ज्योतिषी, डॉ मनमोहन मनीष, रामोतार आनंद,प्रशांत भगत नवनीत जयसवाल,संतोष कुमार, जितेंद्र कुमार,केदार भगत,प्रो शंकर प्रसाद मंडल,प्रो उमेश प्रसाद यादव,प्रो गौरी शंकर भगत,रामेश्वर जायसवाल,छेदी दास,अर्जुन प्रसाद यादव,सत्यनारायण अग्रवाल,बिरेन्द्र भगत,मंजूलता भारती,आशा देवी,मुन्नी कुमारी, पार्वती देवी,मांडवी कुमारी, कुमारी संयुक्ता देवी,सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं अन्य लोग उपस्थित थे।
राहुल यादव
कोशी की आस@चौसा, मधेपुरा