मधेपुरा : शाहजादपुर में दो-दिवसीय कृष्णाष्टमी पूजा की तैयारी अपने अंतिम चरण में।

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स्पेशल डेश्क@कोसी की आस

मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज थाना के शाहजादपुर में कृष्णाष्टमी की तैयारी ज़ोर-शोर से चल रही है और अब यह तैयारी अपने अंतिम चरण में है। शाहजादपुर के इस दो-दिवसीय कृष्णाष्टमी पूजा का अपना अलग महत्व है। वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार यहाँ गर्भ पूजा मनाया जाता है अर्थात यहाँ पूजा कृष्ण जी के जन्म से पहले ही प्रारंभ हो जाता है और व्रत करने वाले 12 बजे रात्री को मान्यता के अनुसार पूजा कर अन्न अथवा फल ग्रहण करते हैं।

कृष्णाष्टमी पूजा का आयोजन गाँव के ही युवाओं की “कृष्णाष्टमी पूजा समिति” के द्वारा किया जाता है, पूजा को लेकर न सिर्फ समूचे गाँव में बल्कि आस-पास के गाँव में भी ख़ासा उत्साह देखा जा सकता है। एक तरफ जहाँ मौल-कल्चर समाज पर हावी होते दिख रहा है, वहीं इस युग में भी गाँव के पूजा और मेले का अपना अलग महत्व है। बच्चे, बूढ़े और जवान सभी बेसब्री से शाहजादपुर में होने वाले इस पूजा का इंतजार करते हैं।

दो दिवसीय कृष्णाष्टमी पूजा का शुभारंभ कल सुबह ध्वजारोहण के साथ प्रारंभ होगा, ध्वजारोहण के दौरान गाँव के सभी लोग उपस्थित होकर ध्वजारोहण में अपना योगदान देने का प्रयास करते हैं, साथ ही पूजा स्थल कृष्ण-बलदेव की जय, समोलिया गिरधारी की जय आदि नारों से गुंजायमान हो जाता है। ध्वजारोहण पूर्ण होने के उपरांत सभी शाम में भगवान कृष्ण-बलदेव के आगमन की तैयारी में जुट जाते हैं। गाँव के ठाकुरबाड़ी स्थित मंदिर जहाँ भगवान कृष्ण-बलदेव की मूर्ति बनाई जाती है, वहाँ से कृष्ण मंदिर लाने के लिए पालकी को सजाया जाता है और शाम होते समूचे गाँव के सभी सदस्य भगवान को लाने के लिए पालकी के साथ निकलते हैं।

ठाकुरबाड़ी में भगवान कृष्ण-बलदेव की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा किया जाता है, उसके बाद पालकी में भगवान को कृष्ण मंदिर लाया जाता है और फिर आम-आदमी के लिए पूजा-अर्चना प्रारंभ होता है। भक्तों के भीड़ से लोगों के आस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। शाम होते ही समूचे गाँव में एक गज़ब का उत्साह देखा जा सकता है।

कृष्णाष्टमी पूजा के अवसर पर मेला में दुकान लगाने वाले दुकानदार भी अपनी होने वाले आमदनी को लेकर बेहद उत्साहित रहते हैं, उनके लगाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महीनों पहले से दुकानदार मेला के लिए अपना स्थान सुरक्षित कर लेते हैं।

रात्री में कृष्णलीला का भी आयोजन “कृष्णाष्टमी पूजा समिति” के द्वारा किया जाता है। दो दिवसीय कृष्णाष्टमी पूजा के दूसरे दिन समूचे गाँव के लोग एक बार फिर से पूजा-अर्चना करते हैं और उसके बाद विसर्जन की तैयारी प्रारंभ होती है।

ख़ैर अभी पूजा और गाँव वालों के लिए उसके महत्व के बारे में बताना चाहता हूँ कि न सिर्फ समूचे गाँव के सभी परिवार के लोग इस पूजा में शामिल होते हैं बल्कि अधिक-से-अधिक सगे-संबंधी इस त्यौहार के अवसर पर आते हैं। साथ ही गाँव के जो किसी कारणवश इस पूजा में नहीं आ पाते हैं, वो इस दिन खासकर काफी अकेला महसूस करते हैं।

भगवान कृष्ण-बलदेव से कोसी की आस टीम प्रार्थना करती है कि भगवान सभी ग्रामवासी को बरकत दे और ऐसे सभी साथी जो पूजा के अवसर पर नहीं जा पाते हैं, उन्हें आशीर्वाद दें कि आगे वो भी इसमें शामिल हो सकें। कोसी की आस टीम आप सभी को पूजा संबंधी अपडेट उपलब्ध कराने का भरसक प्रयास करेगी।

 

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