नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर भाकपा ने भड़ी, किसान आंदोलन की हुंकार

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मधेपुरा जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के अवसर पर आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के स्थानीय कार्यालय में किसानों ने तथाकथित काला कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन तेज करने का लिया संकल्प लिया।

किसानों को संबोधित करते हुए भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि आज खेती-किसानी और देश संकट में है। केंद्र की मोदी सरकार सुनियोजित रूप से कृषि को कारपोरेट के हवाले करने पर आतुर है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बॉर्डर पर 2 महीने से चल रहे किसान आंदोलन आजादी के बाद सबसे बड़ा लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण आंदोलन है।

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भाकपा नेता ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंग्रेजों से देश को आजाद कराये थे। आज मनुवादियों एवं देशी-विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से देश के अन्नदाता किसानों को आजाद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस काला कृषि कानून से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 ध्वस्त हो जाएगा और कुछ मुट्ठी भर कारपोरेट घरानों को जमाखोरी करने की खुली छूट हो जाएगी, भारतीय खाद्य निगम बंद हो जाएगा, उससे जुड़े लाखों मजदूर एवं कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे, जन वितरण प्रणाली से गरीबों को सस्ते दर पर मिलने वाली अनाज बंद हो जाएगी, जिससे देश में खाद्य संकट पैदा हो जाएगा जिससे देश में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने के बाद कृषि को भी कारपोरेट के हवाले करने के लिए यह काला कानून बनाई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सहित देशभर में किसान आंदोलन व्यापक रूप ले लिया है सरकार यह काला कानून वापस ले या सिंहासन खाली करे। उन्होंने देशहित में और किसान हित में अगले 30 जनवरी को महागठबंधन द्वारा आयोजित मानव श्रृंखला में बड़ी संख्या में भाग लेने का आह्वान आम जनों से किया।

पार्टी के जिला मंत्री विद्याधर मुखिया ने कहा कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून, ना सिर्फ किसानों के खिलाफ है, बल्कि देश के खिलाफ है उन्होंने कहा कि किसानों की लड़ाई में भाग लेकर खेती और किसानी को बचाने की जरूरत है। किसान सभा के जिला अध्यक्ष पूर्व मुखिया रामदेव सिंह ने कहा कि किसानों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, सरकार काला कानून वापस ले अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहें।

इस अवसर पर किसान नेता एवं धुरिया कलासन के पैक्स अध्यक्ष अंबिका मंडल भाकपा के अंचल मंत्री बाबूलाल मंडल ने कहा कि किसानों के फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं देना एवं खेती और खलियान को पूंजीपतियों के हवाले कर देना सरकार की जनविरोधी एवं किसान विरोधी कदम है। किसान नेता एवं पूर्व मुखिया नीरज सिंह अमरेंद्र सिंह शिक्षाविद श्याम सुंदर शर्मा ने कहा कि जो किसान का नहीं है, वह हिंदुस्तान का नहीं है।

अखिल भारतीय नौजवान संघ के जिला सचिव राजीव कुमार यादव और किसान नेता गणेश सिंह ने कहा कि किसानों की उपेक्षा करने वाली सरकार हिंदुस्तान पर हुकूमत नहीं कर सकती। इस अवसर पर किसान नेता किशोर पौदार, उपेंद्र शर्मा, रामानंद मेहता, अशोक यादव, छतरी राम, सतीश मंडल, वकील मंडल आदि ने अपने विचार प्रकट करते हुए काले कृषि कानून को वापस लेने स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को लागू करने किसानों के ऋण माफ करने की मांग की।

राहुल यादव
कोशी की आस@मधेपुरा

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