मुजफ्फरपुर में थमने का नाम नहीं ले रहा नवकी बुखार, अब तक 83 बच्चे काल के गाल में

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मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) / जापानी इंसेफलाइटिस (JE) /  दिमागी बुखार / नवकी बुखार या फिर मस्तिष्क ज्वर का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह जानलेवा बीमारी की दिन-व-दिन अपने चपेट में आए बच्चों की संख्या बढ़ाते जा रहा है। इस बीमारी के शिकार मरने वाले बच्‍चों की संख्‍या लगातार बढ़ती जा रही है। अस्पतालों में नए मरीजों का भर्ती होना लगातार जारी है। उत्‍तर बिहार के सबसे बड़े अस्‍पताल “श्रीकृष्‍ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल (एसकेएमसीएच)” में महज़ 24 घंटे के अंदर 16 और बच्‍चों की मौत हो गई। वहीं तीन बच्‍चों की मौत पूर्वी चंपारण में होने की बात कही जा रही है। इस तरह, मुजफ्फरपुर व आसपास के इलाकों में अब तक लगभग 83 बच्चे इस काल रूपी नवकी बुखार के गाल में समा चुके हैं।

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प्रारम्भ में अनदेखी के बाद अब प्रशासन और नेताओं की टीम का लगातार दौरा जारी है। शनिवार को राजद की टीम के बाद, केंद्रीय गृह राज्‍यमंत्री नित्‍यानंद राय भी मुजफ्फरपुर पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकारी स्‍तर पर आवश्यक व्‍यवस्‍था की जा रही है। बिहार सरकार, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के प्रधान सचिव संजय प्रसाद ने भी स्थिति का जायजा लिया। इसके पहले शुक्रवार को बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगलवार पांडेय मुजफ्फरपुर गए थे। आज केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री रवीशंकर प्रसाद के आने की संभावना है।

केंद्रीय जाँच टीम मुजफ्फरपुर पहुँची:

बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की डॉक्टरों की केंद्रीय जाँच टीम डॉक्टर अरुण कुमार सिन्हा के नेतृत्व में मुजफ्फरपुर के “श्रीकृष्‍ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल (एसकेएमसीएच)” पहुँची। टीम में डॉ. गोयल, डॉ. पूनम, पटना एम्‍स के डॉ. लोकेश और एनसीडीसी पटना के डॉ. राम सिंह शामिल थे।

यहाँ सवाल किसी के आने या ना आने का नहीं, तथा अन्य घटित घटनाओं की तरह जाँच टीम बना देना या खाना-पूर्ति के लिए जाँच करा भर देने का नहीं है, सवाल यह है कि यह सिलसिला कब तक चलेगा? हम अपने देश को प्रगतिशील बताते हैं! हम चंद्रयान 2 की बात कर रहे हैं! हम बुलेट ट्रेन की बात करते हैं! हम अपने-आप को आतंकी घटनाओं का सामना हो या पड़ोसी देश से मुक़ाबला करने की बात हो अपने-आपको सक्षम बताते हैं! लेकिन हमारा अपना घर ही या जो अभी हमारे पास है, हम उसे कब तक सुरक्षित कर पायेंगे? यह कोई पहली घटना नहीं, बल्कि हमें तो ये लगता है कि भारत में जान की कीमत इतनी सस्ती है जितनी शायद ही विश्व के किसी देश में हो, अमेरिका और इज़राइल जैसे देश के एक नागरिक के मौत की कीमत का बदला सरकार कैसे लेती है, हम लोग भलीभाँति समाचारों के माध्यम से आए दिन जानते हैं। वहीं भारत में 50-60 लोगों की मौत की तो कोई बात ही नहीं, आए दिन सुनने को मिलता है आतंकी घटनाओं में 50 जवान शहीद, नक्सली हमले में 60 लोग मारे गए और न जाने क्या-क्या?

हम जानते हैं कि कुछ मामलों (प्रकृतिक आपदा) में हमारा नियंत्रण नहीं होता, इसका मतलब ये तो नहीं कि हर मामले को हम प्रकृतिक आपदा ही मान लें। हमें अपने-आपको सुदृढ़ करना ही होगा।

Pic Source- Google Image

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