स्पेशल डेस्क
कोशी की आस@पटना।
बीते साल सितंबर महीने में हुई भारी बारिश और उसके बाद राजेंद्र नगर समेत पटना के कई इलाकों में जल जमाव को कौन भूल सकता है। अब इस जल जमाव के दोषियों की पूरी लिस्ट सामने आ गई है। यह वह समय था जब बिहार का नाम आते ही सभी जलजमाव की बात करने लगे थे। पटना का काफ़ी पुराना और पाउस माने जाने वाला इलाका राजेंद्रनगर पूरी तरह से डुब चुका था। लोग सड़क पर आ गए थे। बिजली का कनेक्शन काट दिया गया था। लोगों को खाने पिने के लाले पड़ गए थे। लोगो को सेना की मदद से घरों से बाहर निकाला जा रहा था। इस पूरी त्रासदी के कारणों की तलाश के लिए विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
गठित कमिटि के रिपोर्ट में कहा गया है कि पटना नगर निगम के तत्कालीन नगर आयुक्त अनुम कुमार सुमन और बुडको के एमडी अमरेंद्र कुमार सिंह के बीच समन्वय के अभाव में पटना की वैसी दुर्दशा हो गयी। अपने रिपोर्ट के साथ समिति ने इन दोनों के खिलाफ अऩुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा भी की है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में इंजीनियर और पटना नगर निगम के एक्जक्यूटिव ऑफिसर पर भी लापरवाही की बात कही गई है।
जांच कमेटी ने कहा है कि नाला उड़ाही में पटना नगर निगम के एक्जक्यूटिव अधिकारियों ने भी लापरवाही बरती है। उन्होंने अपने रिपोर्ट में कहा कि पटना सिटी को छोड़ सभी जगह तैनात एक्जक्यूटिव अधिकारियों पर कड़ी कार्ऱवाई की अनुशंसा की गई है। सबसे ज्यादा गड़बड़ी नाला उड़ाही के नाम पर किए गए भुगतान को लेकर है जिसमें संवेदक द्वारा मजदूरों की ग़लत संख्या बताकर पैसे की निकासी कर ली गई है। होना यह चाहिए था कि नाले की लंबाई और चौड़ाई कितनी है? उसमें से कितना गाद निकला है? इस आधार पर भुगतान होना चाहिए था लेकिन जब भुगतान की बारी आई तो संवेदक ने मजदूरों की संख्या गिना दी।