स्पेशल डेस्क
कोसी की आस@पटना
पूरे रात लगातार 12 घंटे नाइट क्लासेज चलाने वाले मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव ने अपने 251वें नाइट क्लासेज के जरिये एक अनोखा अपने नाम किया। और इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव का नाम दर्ज किया गया है। सर्वाधिक नाइट क्लास चलाने वाले भारत के प्रथम व्यक्ति आरके श्रीवास्तव, की इस उपलब्धि से पूरा बिहार गौरवान्वित है।
श्री श्रीवास्तव के द्वारा विगत कई वर्षों से नाइट क्लास का संचालन किया जाता रहा है, जो अब 251 के आंकड़े को भी पार कर चुका है। इस संघर्ष के बल पर उन्होंने अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज कराने में सफलता अर्जित किया है। इनके इस सफलता से पूरा बिहार गौरवान्वित हुआ है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से जब इन्हें मेडल एवं प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ तो इनके चाहने वालों में खुशी की लहर दौड़ गई। इन्हें यह गौरव प्राप्त होने पर बिहार के प्रबुद्ध लोगों ने शुभकामना देते हुए उज्जवल भविष्य का कामना किया है।
गूगल बॉय कौटिल्य पंडित के गणित गुरु आरके श्रीवास्तव के द्वारा नाईट क्लासेज के रूप में अभी तक 251वां नाईट क्लास तक पूरे रात लगातार 12 घण्टे तक नि:शुल्क गणित की पाठशाला का संचालित किया जा चुका है। बताते चले कि आरके श्रीवास्तव के द्वारा संचालित नाईट क्लास की चर्चा छात्र-छात्राओं एवं अविभावक सहित शैक्षणिक संस्थाओ में जोरों पर हो रहा है। आरके श्रीवास्तव के नाईट क्लास के मॉडल को जानने और समझने के लिए अभिभावक सहित कई विद्यालयों के शिक्षक भी उनके क्लास में बैठते हैं।
पूरी रात लगातार 12 घण्टे विद्यार्थियों को पूरे अनुशासन के साथ इनके द्वारा चलाए जा रहे नाइट क्लास की शैली को समझना अन्य शिक्षकों के लिए चुनौती भरा है। सुबह क्लास खत्म होने के बाद स्टूडेंट्स के माता-पिता इस बात से काफी चकित रहते है कि हमारे बेटा-बेटी, जो घर पर 3 से 4 घण्टे भी ठीक से पढ़ नहीं पाते, उन्हें आरके श्रीवास्तव ने लगातार पूरे रात 12 घण्टे तक अनुशासन के साथ बैठाकर मैथमेटिक्स का गुर सिखाया। इसके साथ सेल्फ स्टडी के प्रति उन्हें प्रेरित भी किया जाता है। नाइट क्लास का यह प्रारूप अब देशव्यापी होने लगा है। इस प्रारूप के लिए देश के विभिन्न राज्यों के शैक्षणिक संस्थाएँ गेस्ट फैक्लटी के रूप में अपने यहाँ शिक्षा देने के लिए आरके श्रीवास्तव को बुलाने लगी है। लोगों का मानना है कि पढ़ाने की ऐसी कला सारे शिक्षकों मे विकसित हो जाए तो कोई बच्चा शिक्षा से अपने को दूर नहीं रख पायेगा और सफलता उसके कदम चूमेगी।
अपने इस कामयाबी का रहस्य बताते हुए आरके श्रीवास्तव ने कहा कि बचपन से ही गणित में रुचि थी जो नौंवी और दसवी तक आते-आते परवान चढ़ी। बचपन गरीबी से गुजरने के बाद भी उन्होंने, अपनी कड़ी मेहनत, ऊँची सोच और पक्के इरादे के बल पर देश में मैथमेटिक्स गुरु के नाम से ख्याति प्राप्त करने में सफलता अर्जित किया।
“तब आसमा भी आयेगी जमी पे, बस इरादों में जीत का जुनून चाहिए”, आज इन्हीं पंक्ति को जीवंत कर रहे मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव। निर्धन छात्रों के इरादों को सम्बल प्रदान कर, उनके सपनो को साकार करना इनके आदत में शामिल हो चुका है, जिसके अंतर्गत बिक्रमगंज जैसे छोटे शहर सहित बिहार के कई निर्धन छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देकर आईआईटी, एनाइटी, बीसीईसीई, एनडीए सहित अन्य इंजिनयरिंग कॉलेजों में दाखिला दिलाने में कामयाब हुए।
आरके श्रीवास्तव अमेरिकी विवि से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित हो चुके है। आरके श्रीवास्तव यानि रजनी कांत श्रीवास्तव दिनारा प्रखंड के नटवार थाना क्षेत्र के जमोढी निवासी स्वर्गीय पारस नाथ लाल के द्वितीय पुत्र हैं। पिता एवं बड़े भाई शिवकुमार लाल की असामयिक मृत्यु के बाद भी गरीब होनहारों को कामयाबी तक पहुंचाना इनकी नियति में शामिल है।
इनके नाईट क्लास प्रारूप ने सैकड़ो गरीब स्टूडेंट्स जैसे सब्जी विक्रेता, गरीब किसान, पान विक्रेता और कई मजदूर के बच्चों को श्रीवास्तव के निःशुल्क नाइट क्लास से आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई, एनडीए, स्टेट इंजीनियरिंग सहित अनेकों प्रतिष्टित प्रवेश परीक्षा में सफलता अर्जित हुई है।
सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर गणित पढ़ाते है मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव—
आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर गणित पढ़ाते हैं, प्रत्येक अगले वर्ष 1 रुपया अधिक लेते है गुरु दक्षिणा। चुटकले सुनाकर खेल-खेल में पढ़ाने वाले गणित के मशहूर शिक्षक मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव जादुई तरीके से गणित पढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी पढ़ाई की खासियत है कि वह बहुत ही स्पष्ट और सरल तरीके से समझाते हैं। सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर और चुटकुले बनाकर सवाल हल करना आरके श्रीवास्तव की पहचान बन गई है। गणित के लिये इनके द्वारा चलाया जा रहा निःशुल्क नाईट क्लासेज अभियान पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाना कोई चमत्कार से कम नहीं है।
आरके श्रीवास्तव गणित बिरादरी सहित पूरे देश में उस समय चर्चा में आये जब वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के चैलेंज के दौरान इन्होंने क्लासरूम प्रोग्राम में बिना रुके पाइथागोरस थ्योरम को 50 से ज्यादा अलग-अलग तरीके से सिद्ध कर दिखाया। आरके श्रीवास्तव ने कुल 52 अलग-अलग तरीकों से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। जिसके लिए इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन में भी दर्ज चुका है।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन के छपी किताब में यह जिक्र भी है कि बिहार के आरके श्रीवास्तव ने बिना रुके 52 विभिन्न तरीकों से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। इसके लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने आरके श्रीवास्तव को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाये भी दिया था। इसके अलावा आरके श्रीवास्तव संख्या 1 क्या है? विषय पर शैक्षणिक सेमिनार में घण्टों भाषण देकर अपनी प्रतिभा से बिहार को गौरवान्वित कराया।
रामानुजन और वशिष्ठ नारायण को अपना आदर्श मानने वाले आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के युग में गणित की महत्ता सबसे अधिक है इसलिए इस विषय को रुचिकर बनाकर पढ़ाने की आवश्यकता है। इनके द्वारा चलाया जा रहा वंडर किड्स प्रोग्राम क्लासेज भी अद्भुत है, इस प्रोग्राम के तहत नन्हें उम्र के बच्चे जो वर्ग 7 और 8 में है परंतु अपने वर्ग से 4 वर्ग आगे के प्रश्नों को हल करने का मद्दा रखते है। वर्ग 7 व 8 के स्टूडेंट्स 11 वीं, 12 वीं के गणित को चुटकियो में हल करते है। आरके श्रीवास्तव के वंडर किड्स प्रोग्राम क्लासेज के इन स्टूडेंट्स से मिलने और शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिये अन्य राज्यो के लोग इनके इंस्टीटूट को देखने आते है।
आरके श्रीवास्तव गणित को हौवा या डर होने की बात को नकारते हैं। वे कहते हैं कि यह विषय सबसे रुचिकर है। इसमें रुचि जगाने की आवश्यकता है। अगर किसी फॉर्मूला से आप सवाल को हल कर रहे हैं तो उसके पीछे छुपे तथ्यों को जानिए। क्यों यह फॉर्मूला बना और किस तरह आप अपने तरीके से इसे हल कर सकते हैं। वे बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गणित में बहुत अधिक रुचि थी, जो नौंवी और दसवी तक आते-आते परवान चढ़ी।
आरके श्रीवास्तव अपने पढ़ाई के दौरान टीबी की बीमारी के चलते आईआईटी प्रवेश परीक्षा नहीं दे पाये थे। उनकी इसी टिस ने बना दिया सैकड़ो स्टूडेंट्स को इंजीनयर। आर्थिक रूप से गरीब परिवार में जन्मे आरके श्रीवास्तव का जीवन भी काफी संघर्ष भरा रहा।