“प्रिया सिन्हा”
कोसी की आस@पूर्णियाँ
आओ दोस्तों मिल बैठ कर,
हम सब बातें दो-चार करें;
प्यार तो प्यार होता है,
उसके बारे में ना हम सभी,
बातें कभी कोई बेकार करें !
क्योंकि हमारा होना भी तो,
एक बहुत ही खुबसूरत प्यार है,
तो क्यों ना हम सबसे पहले,
खुद से ही बहुत प्यार करें !
जो जाता है वो बिल्कुल ही जाए,
जो रूकता है वो शौक से रूके,
हम क्यों किसी का हर-पल, हर-दिन,
रो-रो कर इंतजार करें ?
क्यों किसी की याद में आँसू और,
लहू बहाके हम पल-पल खुद पर,
एवं अपने संपूर्ण परिवार पे ही,
भावनात्मक अत्याचार करें ?
इसलिए आओ पहले खुद को बनाए,
इस काब़िल के जिसने हमें है ठुकराया,
वो लोग ही हमसे मिलने को,
मिन्नतें सौ (100) हज़ार करें!
प्यार से प्यारा कुछ भी नहीं,
ये तो हम सभी जानते हैं,
तो फिर क्यों ना हम ?
अपने परिवार के ही सारे,
सपनों को साकार करें!
और इन सब के लिए जरूरी है कि,
पहले हम खुद को ही सराहें और,
इस गंभीर एवं ज्वलंत मुद्दे पर,
हम सभी अमल हर बार करें !
नोट :- यह कविता उन सभी लोगों के लिए मरहम का काम करेगा जो प्यार में धोखा खाने के बाद अपनी जिंदगी से हार मान लेते हैं और फिर खुदकुशी करने की सोचते हैं या फिर खुदकुशी कर लेते हैं।
अत: सभी प्रेमियों से अनुरोध है, जीवन अनमोल है इसे ऐसे किसी शख्स के लिए व्यर्थ ना गंवाए, जो आपके लिए योग्य नहीं हो।