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प्रिया सिन्हा
कोसी की आस@पूर्णियाँ
रूठ के वो हमसे अब हमें
बहुत ही सताने लगे हैं;
इतने हुए हमसे दूर कि
बहुत याद आने लगे हैं !
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जो कभी बताया करते थे
तमाम बातें अपने दिल की,
आज वो ही हमसे अपना
राज-ए-दिल छुपाने लगे हैं !
कहते थे हमसे तुम याद ना आओ
ऐसा कोई भी दिन नहीं,
फिर ना जाने क्यों अब वो ही हमें
हर-दिन हर-पल भुलाने लगे हैं !
जलते थे कभी वो भी जब करते थे
हम मज़ाक से किसी गैर की बातें,
पर अब वो खुद ही किसी और से
गुफ्तगू कर हमें जलाने लगे हैं !
ना जाने कैसे हैं वो हो गए
इतनी जल्दी किसी और के करीब,
लेकिन हमें तो खुद से भी
रूबरू होने में जमाने लगे हैं !
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