बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति, बनमनखी के प्रखंड संयोजक नीतीश कुमार ने शिक्षकों से अपील कर कहा कि बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति, जिला शाखा पूर्णिया के संयोजक पवन कुमार जायसवाल के नेतृत्व में 17 फरवरी 20 से अनिश्चितकालीन हड़ताल में बने शिक्षक अपना धैर्य बनाए रखें। कोरोना संकट और फिर लाॅकडाउन की स्थिति के कारण आज पुरा विश्व वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लड़ रहा है और अपने आप को सबसे ज्यादा शक्तिशाली कहने वाला, सबको पछाड़ने का दावा करने वालें मुल्क भी सहमे हुए हैं। एक अंजाना वाइरस पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर चुका है क्या चांद और क्या मंगल पे घर बनाने वाले सब औकाद में आ गए। ये हमारी खुशकिस्मती है कि यह बीमारी ऊपर से नीचे की ओर आ रही है। जिससे छोटे शहरों व गांव के लोग अभी संक्रमित नहीं है।
अभी हम इसे रोक सकते हैं, अपनी जागरूकता और सरकार की गाइडलाइन को मानकर। भारत गांवों का देश है इसलिए गांवों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यदि गांवों तक यह महामारी आपदा ने पैर पसारे तो देश को बहुत बड़ा धक्का पहुंचेगा और चुनौती का सामना करना पड़ेगा। चेतावनी बस इतनी है आपके लिए खासकर राष्ट्रव्यापी लाॅक डाऊन को घर में रह शत प्रतिशत निभाए, लॉक डाऊन का पालन करें।
राष्ट्रहित में अपनी भागीदारी निभाने के तौर पर हम हड़ताली शिक्षकों का यह कर्तव्य हो जाता है कि लाॅकडाउन की स्थिति में सोशल मीडिया एवं अन्य स्त्रोत से आमजन में जागरूकता पैदा करें। रेलवे, युद्धकाल में भी कभी नहीं रुका, यदि आज रुका है तो आपको इसकी गम्भीरता को समझना चाहिए।
साथ ही आप सभी संघीय पदाधिकारी एवं प्रतिनिधि देख रहे हैं कि इस भीषण महामारी आपदा के समय में भी बिहार के मुख्यमंत्री सुशासन बाबू शिक्षकों के प्रतिनिधियों से हड़ताल को लेकर कोई वार्ता नहीं कर रहे हैं। सर्व विदित है कि सरकार की शिक्षा व शिक्षक विरोधी नीति के खिलाफ विगत 17 फरवरी 20 से विभिन्न मांगों को लेकर बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति राज्य शाखा के आह्वान पर बिहार के लाखों शिक्षक हड़ताल पर है। लिहाजा आप सभी साथियों से अनुरोध है कि जब तक बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति राज्य इकाई द्वारा आन्दोलन के संबंध में कोई ठोस दिशा निर्देश नहीं आ जाता है, हम हड़ताल पर बने रहे।
उन्होंने आगे कहा कुछ शिक्षक साथी भटकाऊ के दिशा में मन बनाये है, उनसे मेरा अनुरोध है कि अपने मन से हड़ताल तोड़ने पर सेवा में टूट भी हो सकती है। इसके लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे, इसलिए आप तमाम क्रांतिकारी विद्वान शिक्षक साथियों से अनुरोध है कि किसी वहकावे में नहीं आना है। अपने विवेक से काम लेना है और पूरी ईमानदारी के साथ मांगे पूरी होने तक हड़ताल में डटे रहें। यह हमारी अग्नि परीक्षा की घड़ी है। सरकार किसी भी माध्यम से हड़ताल को खत्म करने का कुचक्र रच रहे है। ऐसी स्थिति में हम सबों को सजग रहने की आवश्यकता है।
प्रफुल्ल कुमार सिंह
कोशी की आस@पूर्णियाँ