“कौन हूँ मैं”

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“प्रिया सिन्हा”
कोसी की आस@पूर्णियाँ

“मैं हूँ पिंकू, मैं हूँ प्रिया,
जैसे नील गगन में उड़ती,
इक आजाद मनचली सी चिड़ियाँ;
जैसे हँसने और हँसाने वाली,
इक बहुत ही प्यारी सी गुड़िया !

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मैं हूँ पिंकू, मैं हूँ प्रिया,
मैंने हर-हाल में सीखा है मुस्कुराना,
भुला कर अपनी सारी तकलीफ़ और मजबूरियाँ;
मैं तो दुखों में भी खुश रहती हूँ ऐसे,
जैसे खुश होती है कोई बच्ची,
पाकर रंग-बिरंगी चूड़ियाँ !

 

मैं हूँ पिंकू, मैं हूँ प्रिया,
कुछ एक लोगों ने कहा मेरे बारे में-
कि मैं तो हूँ इक जहर की पुड़ियां;
सच ही तो है जैसे जहर का काम होता है मारना,
ठीक वैसे, मैं भी मारती हूँ नफ़रत को,
मिटा के दो दिलों के बीच की दूरियाँ !

मैं हूँ पिंकू, मैं हूँ प्रिया !”

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