पूर्णिया : माउंट जियोन विद्यालय के प्रत्याहरण पर उच्च न्यायालय पटना का मुहर, परिजन में ख़ुशी की लहर।

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सुनील सम्राट

कोसी की आस@पुर्णिया

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पूर्णिया जिले के बनमनखी निवासी अधिवक्ता अमितेश सिंह ने माउंट जियोन विधालय को बंद करने के लिए दायर किया था जनहित यचिका। आदिती रानी मौत मामले में “माउंट जियोन विद्यालय” को मानक विहीन बताते हुए बनमनखी के अधिवक्ता अमितेश कुमार सिंह ने पटना उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर किया था। जनहित याचिका पर पटना उच्च न्यायलय के फैसला आने के बाद जानकारी देते हुए अधिवक्ता श्री सिंह ने बताया कि गत 29 जुलाई 2016 को “माउंट जियोन विद्यालय” कोशी कॉलोनी, पूर्णिया में वर्ग एक की छात्रा और बनमनखी की बेटी आदिती रानी की मृत्यु थामेट नामक जहर से हो गई थी।

इस संबंध में एफआईआर भी दर्ज हुआ तथा मामला जिला एवं सत्र न्यायाधीश पूर्णिया के न्यायालय में लंबित है। उनहोंने बताया कि आदिती रानी की मौत के बाद पूरे जिले में छात्र संगठनों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा लगातार धरना प्रदर्शन का भी दौर चला था। वरीय पुलिस पदाधिकारी की टीम द्वारा जांच का दायरा बढ़ाया भी गया। एफएसएल जांच की टीम ने मामले की जांच भी किया। इसी जांच के क्रम में “माउंट जियोन विद्यालय” कोशी कॉलोनी, पूर्णिया के विधि व्यवस्था, विद्यालय के मानक, खेल मैदान, सीसीटीवी कैमरा, पेयजल, शिक्षकों में गुणवत्ता आदि अनेक प्रकार के मानक विहिन पर ध्यान आकृष्ट हुआ।

तत्पश्चात जिला पदाधिकारी पूर्णिया के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग पूर्णिया द्वारा मानक विहीन विद्यालय की मान्यता की जांच विधिवत प्रारंभ किया गया। प्रस्विकृति समिति ने रिपोर्ट प्रेषित करते हुए कहा कि “माउंट जियोन विद्यालय” कोशी कॉलोनी, पूर्णिया पूर्णतः मानक विहीन है। उन्होंने बताया कि इस बीच मेरे द्वारा उच्च न्यायालय पटना में “माउंट जियोन विद्यालय” कोशी कॉलोनी, पूर्णिया की स्वीकृति रद्द करने हेतु जनहित याचिका दाखिल किया गया, जिसका सीडब्ल्यूजेसी नंबर-217/17 है। सरकारी खर्चे पर नोटिस निर्गत होने के पश्चात शिक्षा विभाग एवं विद्यालय द्वारा काउंटर शपथ पत्र दाखिल किया गया। जिस पर विधिवत दिनांक 14 अगस्त 2019 मुख्य न्यायाधीश एपी शाह एवं न्यायाधीश अंजना मिश्रा के खंडपीठ ने सुनवाई किया। सुनवाई के बाद उनके आदेश में स्पष्ट वर्णित किया है कि पिटीशनर अमितेश कुमार सिंह द्वारा मानक विहीन विद्यालय को बंद करने का अनुरोध किया गया। उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने स्पष्ट आदेश दिया कि उक्त विद्यालय की मान्यता दिनांक 10 नवंबर 2018 को हीं रद्द हो चुकी है। इसलिए इस बात की मंशा भी पूर्ण हो चुकी है, क्योंकि जनहित याचिका 217/17 का मूल आशय विद्यालय की मान्यता रद्द होने से संबंधित था, जिस पर फैसला हो चुका है।

इस फैसले से विद्यालय प्रत्याहरण पर उच्च न्यायालय पटना के खंडपीठ द्वारा भी मुहर लगा दिया गया है, जिससे क्षेत्रवासियों में न्यायालय के प्रति आस्था बरकरार रहा है। आने वाले समय में एसे मानक विहीन विद्यालय में असमय छोटे-छोटे बच्चे काल के गाल में समाने से बचेंगे। अधिवक्ता श्री सिंह ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय के इस आदेश से क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है और उच्च न्यायालय पटना के आदेश की सराहना परिजन सहित बनवासी वासी एक स्वर से कर रहे हैं।

 

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