पूर्णियाँ : विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर रविवार को कला भवन नाट्य विभाग में हिंदी पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन रंगकर्मी अंजनी श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर मौजूद रेणु रंगमंच के सचिव अजित सिंह बप्पा ने बताया हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसमे संस्कृति, कला और संस्कार देखने को मिलता है। यही कारण है कि हिंदी भाषा हम सबको अधिक से अधिक प्रयोग में लाना चाहिए।
रंगकर्मी अंजनी श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी भाषा छोटी और बड़ों के बीच प्रेम और आदर्श सहित सम्मान को दर्शाता है। वही कला भवन नाट्य विभाग के सचिव सह संयोजक विश्वजीत कुमार सिंह ने कहा कि विदेशों में भी हिंदी भाषा का प्रचलन बढ़ता जा रहा है जबकि आज हम अपनी संस्कृति और संस्कार सिखाने वाली भाषा हिंदी को ही भूलते जा रहे हैं जो हमारे लिए बहुत ही दुख की बात है। हिंदी के अलावा सभी भाषा को सीखना चाहिए किंतु अपनी मूल भाषा अपनी मातृभाषा को हमें कदाचित नहीं भूलना चाहिए। हमें अधिक से अधिक हिंदी में ही अपनी लेखनी रखनी चाहिए। एक कलाकार होने के नाते हमसभी को अधिक से अधिक हिंदी नाटकों का मंचन भी करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि विद्यालयों में हिंदी भाषा को स्थान मिलना चाहिए।
रंगकर्मी शिवाजी राव ने कहा हिंदी हमारी मातृभाषा है हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिससे हमें देवत्व की अनुभूति होती है हिंदी हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है आज हिंदी को विश्व के कई देशों में बोली जाती है हिंदी भाषा एक दूसरे को समझने के लिए बहुत ही जरूरी है हिंदी सिनेमा विश्व में सबसे ज्यादा देखी जाती है इसलिए हमें अपनी मूल भाषा को कभी भी छोटा नहीं आना चाहिए।
मौके पर उपस्थित नाट्य विभाग के निर्देशक कुंदन कुमार सिंह ने हिंदी दिवस की महत्ता पर विचार रखे, उन्होंने हिंदी को बढावा देने के लिए रंगकर्म को बेहतर माध्यम बताया। मयंक रोनी ने कहा की मैं पंजाबी होने के बावजूद भी मुझे हिंदी भाषा में बहुत ज्यादा लगा है मैं बिहार के पूर्णिया के ही हिंदी को बहुत अच्छी तरह समझ पाया हूं जब मैं वापस पंजाब जाता हूं तो मेरे घर में सभी लोग पंजाबी बोल कर हिंदी में ही बात करने लगते हैं। इस अवसर पर उपस्थित राज श्रीवास्तव बम बम बादल जहां आरजू प्रवीण चंदन कुमार आदि ने भी हिंदी भाषा पर बारी-बारी से अपने विचार व्यक्त किए।
प्रफुल्ल कुमार सिंह
कोशी की आस@पूर्णियाँ