सहरसा : यह तस्वीर बिहार के सहरसा जिले की है। जहाँ शहर के बीचो बीच सड़क किनारे कई परिवार घोंघा बेचकर अपने जीवन यापन करते है। चुनाव के समय में इन महादलित परिवारों से सिर्फ वोट ले ली जाती है और इन्हीं महादलित परिवारों पर राजनीतिक की जाती है। ऐसे में यह महादलित परिवार घोघा बेचकर अपने जीवन को सवार थे हैं। छोटी-छोटी बच्चियां इस काम में लगे रहते हैं। जिस उम्र में छोटी बच्चियों को स्कूल में होनी चाहिए वह घोघा बेचकर अपने जीवन को सवारते हैं। उक्त बातें राजद नेता और महिषी विधानसभा से अपनी दावेदारी करने वाले प्रवीण आनंद ने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि अगले महीने विधानसभा चुनाव है। ऐसे में अब सवाल यह खड़ा होता है कि यह महादलित परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ अब तक क्यों नहीं मिला, क्यों नहीं इन लोगों को रोजगार दी गई। आज अगर इन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता तो यह सड़क किनारे बैठकर घोघा नहीं भेजती। यह तस्वीर सरकार की हवा हवाई घोषणा की पोल खोल रही है। सरकार के हर दावे फेल नजर आ रहे हैं, चुनाव के समय में सिर्फ और सिर्फ महादलित परिवारों से वोट की राजनीति की जाती है और वोट लेकर इन महादलित परिवारों की तरफ देखने तक नहीं जाते।
रितेश : हन्नी
कोशी की आस@सहरसा