जब दीप जले आना

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रितेश : हन्नी
कोसी की आस@सहरसा

जब दीप जले आना,
जब शाम ढले आना,
सन्देश मिलन का भूल न जाना,
मेरा प्यार ना बिसराना,
जब दीप जले आना।।

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नित सांझ सवेरे मिलते हैं,
उन्हें देखके तारे खिलते हैं,
लेते हैं विदा एक दूजे से,
कहते हैं चले आना,
जब दीप जले आना।।

मैं पलकन डगर बुहारूं,
तेरी राह निहारूं,
मेरी प्रीत का काजल तुम,
अपने नैनों में मले आना,
जब दीप जले आना।।

जहाँ पहली बार मिले थे हम,
जिस जगह से संग चले थे हम,
नदिया के किनारे आज उसी,
अमवा के तले आना,
जब दीप जले आना।।

राहुल गुप्ता की कलम से

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