जिंदगी

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रितेश : हन्नी
कोसी की आस@सहरसा

हालात-ए-मोहब्बत कुछ ऐसा हो गया,
ना जी पा रहा हूँ ना मर पा रहा हूँ।
मजबूर हो गया हूँ ज़िन्दगी,
तेरे इस जहान से।।

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आज कर दो मेरी आखिरी ख्वाइश पूरी,
मुझे माफ़ कर देना ऐ-ज़िन्दगी।
मैंने जी ली अपनी ज़िन्दगी,
अब चला मैंने अपनों को छोड़कर।।

खुद कर्ज हूँ मैं आपका,
आपने मुझे जन्म दिया,
वो भी अधूरा रहा,
अधूरा रहा मेरा संसार।।

मुझे भी तम्मन्ना थी,
मेरी भी ख्वाइशें थी,
मैंने भी प्यार किया,
लेकिन सब अधूरा रहा।।

अब अल्फ़ाज़-ए-मोहब्बत कुछ बचा नहीं,
कुछ बचा तो बस तेरी यादें,
उसे भी संभाल नहीं सकता मैं,
कर दो मुरादे पूरी ए जिंदगी।।

-राहुल की कलम से।

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