सहरसा : पामा के शिक्षक “ब्लू भाई” के 63वीं बीपीएससी में सफल होने की दिलचस्प कहानी।

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“अगर हम हल का हिस्सा नहीं हैं,

तो हम समस्या हैं।”

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महान मोटिवेशनल गुरु और साहित्यकार “शिव खेड़ा” की महज़ दो लाइन की उपरोक्त पंक्ति हमें जीवन की सीख देती है। जहाँ एक तरफ हमलोग अपनी छोटी-छोटी मुश्किलों से परेशान रहते हैं, वहीं यह पंक्ति हमें सिखाती है कि समस्या समझ हाथ-पर-हाथ धरे रहने के बजाय हमें, समस्या के हल में भागीदार होना चाहिए। कोसी की आस” टीम आज़ अपने प्रेरक कहानी शृंखला की साप्ताहिक और 37वीं कड़ी में एक ऐसे ही ऊर्जावान व्यक्तित्व की कहानी से आपसभी को मुखातिब कराने जा रही है, जिन्होनें समस्या को कभी समस्या नहीं समझा और हमेशा उसे हटाते आगे बढ़ते गए। तो आइये जानते हैं पामा, सहरसा के श्री अरुण कुमार शर्मा के प्रतिभावान पुत्र ब्लू भाई की सफलता की कहानी।

शतरंज के खेल में रुचि रखने वाले ब्लू भाई की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के प्राथमिक विद्यालय से हुई और उसके बाद बेहतर माध्यमिक शिक्षा के लिए उनका नामांकन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शाखा CHS (K) स्कूल वाराणसी में करवा दिया गया।

अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो,

तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो।

– अब्दुल कलाम

महामहिम पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मेन की उपरोक्त पंक्ति में विश्वास रखने वाले ब्लू भाई अपने जीवन में अब तक आए समस्याओं को समस्या मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने बताया कि मैं समझता हूँ कि मेरे जीवन में जो भी हुआ था, वो नियति थी और जो भी अभी हुआ है, वो भी नियति है। हमें किसी से कोई शिकायत नहीं और मैं एक बात बताऊँ कि मेरे घर वालों ने मुझे कभी कोई परेशानी का आहसास ही नहीं होने दिया।

इतने उदार सोच वाले ब्लू भाई के बड़प्पन का सम्मान करते हुये कोसी की आस” टीम के सदस्य ने जब उन्हें बताया कि हमारे सवाल सिर्फ आपके लिए नहीं है, बल्कि हम अपने उन तमाम प्रतिभागी भाई-बहन को आपके जीवन से जुड़े सच को बताना चाहते हैं ताकि उन्हें अपनी मुश्किल कम प्रतीत हों और उन्हें आपके जीवन और सफलता से कुछ सीखने को मिल सके। उसके बाद जो उन्होंने बताया कि सुनते हैं उन्हीं की जुबानी- 10वीं से पहले ही बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शाखा CHS (K) स्कूल वाराणसी में, मैं स्वास्थ्य कारणों से परेशान रहने लगा, मुझे और मेरे घर वालों को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? आख़िरकार वर्ष 2008 में, मैं 10वीं की परीक्षा देकर वापस घर आ गया। घर पर रहकर ही इलाज चल रहा था, वो वक़्त मेरे लिए काफी मुश्किल था, लेकिन घर से मिले अकल्पनीय सहयोग ने मुझे उन मुश्किलों से लड़ना सीखा दिया।

स्वास्थ्य समस्या से उस वक़्त जूझ रहे ब्लू भाई बताते हैं कि नियमित रूप से कॉलेज नहीं जा सकने के कारण 1 वर्ष के अंतराल के बाद NIOS से 12वीं 2011 में पूरी किया। उन्होंने आगे बताया कि मेरी मुश्किलें यहीं समाप्त नहीं हुई थी, लिहाज़ा घर पर ही मैं अपने पसंदीदा पुस्तकें पढ़ता रहता था। लगभग 2 वर्ष और ऐसे ही बीत गया लेकिन इसी दौरान 2013 में मेरा चयन मध्य विद्यालय जीवछपुर, मधेपुरा में प्रखंड शिक्षक के रूप में हुआ। सच कहूँ तो शिक्षक के रूप में मेरा चयन होना और विद्यालय के ही शिक्षक और अब मेरे अजीज दोस्त आलोक कुमार सिंह जिन्होंने मुझे हरवक्त सिविल सेवा के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य किया, वही मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट था।

स्कूल में बच्चों से हमें काफी कुछ सीखने को मिला और सबसे बड़ी बात की मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा भी इन बच्चों के साथ काम करने के दौरान मिला, लिहाजा मैंने “नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय” पटना में स्नातक में नामांकन करा लिया। स्कूल में शिक्षण कार्य के साथ-साथ स्नातक और अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के लिए समय प्रबंधन में प्रारंभ में मुझे काफी मुश्किल हो रहा था लेकिन धीरे-धीरे मैंने उसे ठीक किया।

अपने पिताजी एवं दादाजी को सफलता का श्रेय देने वाले ब्लू भाई ने आगे बताया कि “नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय” पटना से गणित विषय में 2017 में मेरा स्नातक पूरा हुआ। स्नातक होने के साथ ही मैंने 63वीं बीपीएससी में आवेदन कर दिया और परीक्षा के लिए स्व-अध्ययन करने लगा। प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में सफलता के बाद कुमार सर्वेश सर और संजय सिंह सर के मार्गदर्शन में mock interview मैंने किया और आख़िरकार मुझे अपने पहले ही प्रयास में 371वीं रैंक के साथ सफलता मिली और मेरा चयन के लिए श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के पद पर हुआ। अंत में जब ब्लू भाई से पूछा गया कि वर्तमान में प्रयासरत युवाओं के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे तो उन्होंने जो कम शब्दों में खूबसूरत बात बताई वो उन्हीं के शब्दों में बताना चाहता हूँ कि “परिश्रम से भागें नहीं, मेहनत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।”

ब्लू भाई के इस बेहतरीन और संघर्षपूर्ण सफलता के लिए कोसी की आस परिवार की ओर से बहुत-बहुत बधाई और यह परिवार उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ आशा करती है कि अब वो अपने नए ज़िम्मेदारी से समाज जो प्रतिष्ठा दिलाएँगे। साथ ही कोसी की आस परिवार अपने सभी पाठकों से कहना चाहती है कि साधन की कमी, आर्थिक, पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का रोना-रोने के बजाय आपके द्वारा सही समय पर सही निर्णय आपको सफलता की दहलीज़ पार करा सकती है।

(यह ब्लू भाई से “कोसी की आस” टीम के सदस्य के बातचीत पर आधारित है।)

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टीम- “कोसी की आस” ..©

 

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