पंडालों व प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे हैं कलाकार, धूमधाम दुर्गा पूजा मनाने की तैयारी

0
346
- Advertisement -

रितेश : हन्नी

कोसी की आस@ सहरसा

- Advertisement -

दुर्गा मंदिरों में सुबह-शाम शंख व घंटियां बजने से बना भक्तिमय माहौल

सहरसा :- जिले भर में दुर्गा पूजा इस वर्ष धूमधाम से मनाने की तैयारी जोड़-शोर से चल रही है। शहर के दुर्गा मंदिरों में सुबह शाम शंख व घंटियां बजनी शुरू हो गयी है। मंदिरों में सुबह व शाम होने वाली आरती को लेकर माहौल पूरा भक्तिमय हो गया है। सुबह से ही मंदिरों में मां दुर्गा का पाठ शुरू हो जाता है। शहर के सभी दुर्गा मंदिरों सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर मां दुर्गा की आराधना में भक्त जुटे हुए है। कलाकार माँ की प्रतिमा व पूजा पंडालों को अंतिम रूप दे रहें हैं। शहर में कई जगह मां की भव्य प्रतिमा स्थापित कर बड़े ही धूमधाम से पुजा-अर्चना की जाती है। वहीं कई जगह संगमरमर पूर्व से ही स्थापित प्रतिमा की पुजा की जाती है। इस अवसर पर कई जगह मेला का आयोजन भी किया जाता है।

शहर का सबसे पुराना मंदिर बड़ी दुर्गा मंदिर है। जिसके बारे में कहा जाता है कि आजादी से पहले ही यहां दुर्गा पूजा की परंपरा शुरू हुई थी। पुजारी फूल झा कहते है कि इस मंदिर का इतिहास अति प्राचीन है। शहर का सबसे पुराना दर्गा मंदिर यही है। वहीं शहर के दुर्गा मंदिरों के इतिहास के संबंध में पंचवटी दुर्गा मंदिर के संस्थापक रमेश चन्द्र यादव ने बताया कि शहर में सबसे पहला दुर्गा मंदिर सब्जी बाजार स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर है। इसके बाद पूर्वी रेलवे कॉलनी का दुर्गा मंदिर, जेल गेट दुर्गा मंदिर, पश्चिमी रेलवे कॉलनी दुर्गा मंदिर, पंचवटी दुर्गा मंदिर, सहरसा कॉलेज गेट स्थित दुर्गा मंदिर, प्रशांत रोड स्थित दुर्गा मंदिर, थाना चौक दुर्गा मंदिर, सहरसा कचहरी दुर्गा मंदिर के बाद पुरानी जेल मारूफगंज में दुर्गा मंदिर की स्थापना की गयी है। इस वर्ष शहर के थाना चौक, पंचवटी चौक, जेल गेट, सब्जी मंडी, कॉलेज गेट, रेलवे कॉलोनी, प्रशांत रोड, कचहरी चौक, सहित अन्य जगहों पर पुजा होना है।

थाना चौक सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सुरेश लाल ने बताया कि यहाँ लगभग 34 वर्षों से लगातार मां दुर्गा की पुजा-अर्चना हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। सदर थाना के मुख्य द्वार के सामने होने के कारण यहाँ मजिस्ट्रेट की बहाली व पुलिस बल भी तैनात किए जाते हैं। यहाँ शहर के विभिन्न हिस्सों से लोग पुजा करने आते हैं। यहाँ हिन्दू व मुसलमान दोनों समुदायों के लोग आयोजन को सफल बनाने में लगे रहते हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब के कारीगरों द्वारा प्रतिमा व पंडाल बनाया जाता है। अष्टमी के दिन माँ के पट खुलते ही पुजा-अर्चना हेतु श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। संध्या में रोज प्रसाद का वितरण भी किया जाता है। दस दिवसीय इस आयोजन में रोज शाम श्रद्धालुओं की टोली घर से निकलकर मंदिरों तक आरती के लिये आती है। श्रद्धालुओं ने बताया कि मंदिर जाने वाले रास्तों में कीचड़ व जल-जमाव होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध अब तक नगर परिषद एवं जिला प्रशासन द्वारा कोई इंतजामात नहीं किया गया है। जिस कारण श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दशमी के दिन हवन कर प्रतिमा का बड़े ही धूमधाम व शांति पूर्वक विसर्जन किया जाता है।

- Advertisement -