रितेश हन्नी
कोसी की आस@सहरसा
जिले में “रक्त अधिकोष” में लगातार कई वर्षों से चल रहे लाल खून के पीछे के काले कारनामे का भंडाफोड़ अब सदर अस्पताल से निकल कर सोशल मीडिया तक पहुँच गया है। लेकिन ढीठता देखिए कि सिविल सर्जन के कान पर जु तक नही रेंग रहा है। मालूम हो कि सदर अस्पताल स्थित रक्त अधिकोष में जिस मरीज को रक्त की जरूरत होती थी। उसे रक्त देने के लिए उसके परिजन ही अधिकोष की ओर रूख करते थे।
लेकिन समय बदला और जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ युवाओं ने रक्त की महत्ता को देख संगठन का निर्माण कर नि:स्वार्थ रूप से जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध करा रहे है। धीरे-धीरे युवाओं की यह मुहिम रंग लायी और रक्त की कमी के कारण किसी पीड़ित को कोई परेशान नहीं हो रही थी।
अब रक्त को लेकर कई जगहों पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है, जिसकी जानकारी ब्लड बैंक कर्मी स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन को नहीं देते है। कथित तौर पर शिविर में संग्रह किये गये रक्त को काला बाजारी कर निजी नर्सिंग होम के हाथ बेच दिया जाता है। इसकी भी जानकारी किन्हीं को नहीं रहता है, जिसका फायदा रक्त कारोबारी जमकर उठाते है।
ताजा मामला एचडीएफसी बैंक के स्थानीय शाखा से व दूसरा आरएमएम लॉ कॉलेज से जुड़ा है। बैंक में आयोजित शिविर में मात्र चार यूनिट रक्तदान हुआ लेकिन प्रबंधन ने 50 यूनिट रक्तदान की बात कही। कॉलेज में बीते दिन शिविर में 19 यूनिट रक्तदान हुआ लेकिन संग्रहित रक्त कहाँ गया, किसी को पता नहीं है। गुरूवार को सोशल मीडिया पर कॉलेज में आयोजित रक्तदान शिविर को लेकर एक ऑडियो वायरल हो रहा है। इस मामले को लेकर समाजसेवी युवा रौशन झा ने ब्लड बैंक के काले करतूत को उजागर करते हुए जिला पदाधिकारी, सिविल सर्जन समेत जिले के वरीय पदाधिकारी से जांच की मांग को लेकर आवेदन दिया है। अब देखना है जिले के पदाधिकारी खून के लाल रंग के पीछे के काले कारनामो को जांच करते है या आवेदन को ठंढा बस्ते में डाल देंगे ❓