सहरसा : फ्रेंड्स ऑफ आनंद का दो दिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन सम्पन्न

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रितेश : हन्नी
कोशी की आस@सहरसा

‘फ्रेंड्स ऑफ आनंद’ का दो दिवसीय ‘प्रतिनिधि सम्मेलन’ आज दो सत्रों में संपन्न हुआ। पूर्वाह्न 10:30 बजे से प्रारंभ प्रथम सत्र में प्रांतीय सचिव श्री रविंद्र कुमार गुप्ता बच्ची के द्वारा संगठनात्मक प्रस्ताव पेश किया गया। श्री गुप्ता ने अपने प्रस्ताव में कहा कि बरसों से अपने नेता आनंद मोहन जी की के जेल मे रहते जन सरोकारों को लेकर हम संघर्ष में काफी सक्रिय एवं राजनीतिक सामाजिक मुद्दों पर बेहद मुखर रहे हैं, लेकिन सांगठनिक मामले में हम थोड़ी कमी महसूस करते हैं।

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उन्होंने प्रतिनिधि सम्मेलन में वर्तमान की सभी कमेटियों को भंग कर नए सिरे से संगठन का पुनर्गठन का प्रस्ताव रखा लेकिन पूर्व सांसद आनंद मोहन -लवली आनंद के कनिष्ठ पुत्र अंशुमन मोहन ने प्रस्ताव में थोडे परिवर्तन के साथ अपना समर्थन व्यक्त करते हुए बताया कि हमारे नेता के जेल में रहते पिछले कई वर्षों से प्रतिकूल परिस्थितियों और मुसीबत की इस घड़ी में जो लोग नि:स्वार्थ भाव से हमारे साथ खड़े हैं, यह प्रस्ताव उनका अपमान जैसा है। कई कारणों से वे भले थोड़े निष्क्रिय हो पर उनके समर्पण और त्याग पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। जिन जिलों में सांगठनिक सक्रियता की कमी है, उन जिलों में कार्यकारी अध्यक्ष और महासचिव मनोनीत कर कार्य को गति प्रदान की जा सकती है।

अंशुमन मोहन ने कहा कि एक माह के भीतर पूरे राज्य में सांगठनिक ढांचे को खड़ा करने पर बल दिया तथा विधानसभा चुनाव जून के पहले राज्य के 4 बड़े शहरों को चिन्हित कर महापुरुषों की जयंतीयों और पूण्य तिथियों के बहाने चार बड़ी रैलियों का सुझाव दिया। प्रतिनिधि सम्मेलन का दूसरा सत्र दोपहर 2:00 बजे से शुरू हुआ। केंद्रीय अध्यक्ष चेतन आनंद द्वारा पेश राजनीतिक प्रस्ताव से प्रारंभ हुआ प्रस्ताव का समर्थन प्रांतीय महासचिव लालमोहन रस्तोगी और मधेपुरा जिला अध्यक्ष ध्यानी यादव ने किया।

अपने राजनीतिक प्रस्ताव में चेतन ने देश में बढ़ती जातीय विद्वेष और धार्मिक उन्माद पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मूलभूत समस्याओं से ध्यान बांटने और अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए दोनों ओर के अराजक तत्वों द्वारा समाज में कट्टरता और सांप्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है। ‘वोट बैंक’ के लिए धर्म के आधार पर गोलबंदी राष्ट्रहित में नहीं है। सार्वजनिक स्थान पर गांधी के पुतले को गोली मारकर मिठाइयां बांटना, संसद में गोडसे को देशभक्त कहना, जिम्मेवार ओहदे पर बैठे लोगों द्वारा सार्वजनिक मंचों से ‘ गोली मारो सालों को का आह्वान या फिर देश के नामचीन यूनिवर्सिटी में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’, हैदराबाद में एक राजनीतिक दल के सार्वजनिक मंच से 15 करोड़ बनाम 100 करोड़ का भड़काऊ भाषण और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा, देश से प्यार करने वालों को विचलित करने वाला है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की अस्मिता और सद्भाव से खिलवाड़ करने वाले हर व्यक्ति और जमात का सख्ती से सर कुचला जाना चाहिए।

प्रांतीय अध्यक्ष कुलानंद यादव अकेला ने फ्रेंड्स ऑफ आनंद को एक संघर्षशील, प्रगतिशील, समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष लोगों का संगठन बताया। जहाँ दकियानूसी, कट्टरपंथी और सड़ांध पैदा करने वाली सोच के लिए कोई स्थान नहीं है। इस प्रतिनिधि सम्मेलन में पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई की मांग जोर-शोर से उठाई गई। संगठन की संरक्षिका पूर्व सांसद लवली आनंद ने प्रतिनिधि सम्मेलन में देश और राज्य भर आए लगभग 200 से ज्यादा प्रतिनिधियों का अभिनंदन कर अपने समापन भाषण में कहा कि मई के अंत तक अगर आनंद मोहन जेल से बाहर आते हैं तो आगे की रणनीति उनसे राय लेकर तय की जाएगी और अगर ऐसा नहीं हुआ तो अनिर्णय की स्थिति से निकल कर ‘फ्रेंड्स ऑफ आनंद’ महाराणा प्रताप की जयंती 8 जून को पटना में उनकी रिहाई के सवाल पर एक बड़ी रैली का आयोजन कर आगे की रणनीति का खुलासा करेगा। जिसके तहत फ्रेंड्स ऑफ आनंद अपने पुराने राजनीतिक आशियाने ‘बिहार पीपुल्स पार्टी’ का पुनर्गठन कर आगामी बिहार विधानसभा की 50 सीटों पर दमदार तरीके से अपना प्रत्याशी उतारेगा।

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