राजेश कुमार सहरसा :
सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र में जमीनी विवाद का कारवां धीरे-धीरे बढ़ता ही चला जा रहा है। प्रत्येक सप्ताह लगने वाले जनता दरबार में भी भू-विभाग के कर्मी के अनुपस्थिति के कारण निपटारा नहीं हो पाता है। जनता दरबार कार्यक्रम में अंचलाधिकारी जरूरत के अनुसार समय नहीं दे पाते हैं।
अंचल कार्यालय में एक ही अमीन कार्यरत हैं, जिन्हें अतिरिक्त प्रभार महिषी प्रखंड का भी मिला हुआ है। 3 दिन नवहट्टा व 3 दिन महिषी में कार्य का निपटारा करना पड़ता हैं। अंचल क्षेत्र में अमीनों की भारी कमी है। एक मौजा में एक अमीन का कार्यरत होना चाहिए, लेकिन हालात यह बना हुआ की एक मौजा के बदले एक अंचल में भी एक अमीन कार्यरत नहीं है। एक अमीन को दो-दो प्रखण्ड का जिम्मेदारी मिला हुआ है। खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है। निजी अमीन के नापी से लोग संतुष्ट नहीं हो पाते हैं, जिस कारण क्षेत्र में विवाद बढ़ता ही चला जा रहा है। इसका असर विशेषकर विवादित जमीनों की मापी पर पड़ रहा है, निजी अमीन को लोग एक दिन की दैनिक मजदूरी दो हजार से 25 सो रुपया देने की विवश्ता भी बनी हुई है। जमीनी विवाद के अधिकांश मामले मापी नहीं होने के कारण सालों से लंबित है। इस कारण प्रतिदिन कहीं-न-कहीं विवाद होता रहता है।
एक अमीन के जिम्मे दो से चार अंचलों का भार है। अधिक कार्यभार होने के कारण अमीन हर मामले के लिए समय नहीं निकाल पा रहे। लोग निजी अमीन को मनमानी राशि देने से तंग आ चुके हैं तथा लोगों को अपने जेब से निजी अमीन को एक दिन का फीस दो हजार से ढाई हजार रुपये देने पड़ता है। जमीन की नापी निर्धारित दिन नहीं होने पर दिन के गिनती से फीस देना पड़ता है, जो गरीब, किसान, मजदूर वर्ग के लोगों के लिए लोहे के चने चबाने जैसा होता है। भूमि विवाद के मामले का निबटारा नहीं होने से, विवादित जमीनों की मापी नहीं होने के कारण लोक शिकायत अधिनियम भी इन मामले में बेकार साबित हो रहा है। अमीनों की कमी के कारण लोक शिकायत में आये भूमि विवाद के अधिकांश मामले का निपटारा सीओ नहीं कर पा रहे।
जनता दरबार मे आए भूमि विवाद में सरकारी अमीन से जमीन की मापी कराने की माँग रहती है। अमीन के फीस के नाम पर अंचल कार्यालय में लोग निर्धारित फीस जमा तो करा देते हैं किन्तु इंतजार के अलावा कुछ नहीं मिलता है, निजी अमीन के नापी से लोगों को संतुष्टि नहीं मिलने के कारण मामला फंसा रह जाता है। खासकर तटबंध के भीतर जहाँ हर वर्ष कोसी के बहती धारा में जमीन का रूपरेखा मिट जाता और लोगों में विवाद का मुसीबत खड़ा हो जाता है, जहाँ निजी अमीन के आपसी गुटबाजी व राजनीति से भी लोग प्रेरित होकर आपसी विवाद को उतारू हो जाते हैं। प्रखंड क्षेत्र के कोसी तटबंध के अंदर खासकर कैदली, बकुनिया, डरहार, सत्तौर, नौला पंचायत में भूमि विवाद के कारण आए दिन गुटबाजी व मारपीट की संख्या बढ़ते जा रहा है। जिसका साक्ष्य के तौर पर स्थानीय थाना में दर्जनों जमीन विवाद के कारण मारपीट का मुकदमा दर्ज है। सरकारी अमीन भगवान प्रसाद ने बताया कि हम नवहट्टा अंचल में कार्यरत तो हैं, लेकिन अतिरिक्त प्रभार महिषी अंचल का भी मिला हुआ है, जिस कारण तीन-तीन दिन दोनों जगह समय देना पड़ता है। हर जगह नापी में जाना संभव नहीं हो पाता है। काम इतना ज्यादा है कि सोमवार से शनिवार तो कार्य करते ही हैं यहाँ तक कि रविवार को भी छुट्टी नहीं मिलता है।