आज “कोसी की आस” आपको सहरसा के आजाद चौक, गंगजला में स्थित “यमुना निवास” के बारे में बताना चाहूँगा कि किस प्रकार खंडहर सा दिखने वाले एक छोटे से घर ने कई घरों में उजाला फैला दिया। जी हाँ मैं आज से लगभग 11 वर्ष पूर्व 2007 में आप सबको ले जाना चाहता हूँ, जब सहरसा में प्रतियोगी परीक्षा (सरकारी नौकरी) के तैयारी कराने वाला कोई संस्थान नहीं था और उस वक्त के युवा जहाँ बैंकिंग सेक्टर, रेलवे और राज्य सरकार में लगभग न के बराबर भर्तियों से जूझ रहे थे वहीं “यमुना निवास” के “रॉयल ग्रुप” के सदस्यों ने शत प्रतिशत परिणाम देकर जो परचम फहराया वो अपने आप में प्रेरणादायी है।
आज “कोसी की आस” आपको “यमुना निवास” के ऐसे सफल लोगों के समूह “रॉयल ग्रुप” से मिलवाने जा रहा हूँ, जिसने 10% सवर्णो को आरक्षण के बारे में न तो कभी सोचा और न ही कभी सुना होगा। मैं यहाँ हाल ही में भारत सरकार द्वारा 10% सवर्णों को दिए गए आरक्षण के बारे में जिक्र इसलिये करने जा रहा हूँ क्योंकि इस समूह के अधिकांश सदस्य सवर्ण हैं और सभी ने आरक्षण की परवाह किये बगैर अपने-अपने लक्ष्य को हासिल किया। सहरसा जिले में एकत्रित हुए सहरसा, मधेपुरा और सुपौल इन सफल युवाओं से जुड़ी बातें बताना चाहता हूँ जिन्होंने कई सारी चुनौतियों/मुसीबतों का सामना करते हुये अपने-अपने लक्ष्य हासिल किया। ऐसा नहीं कि असफलता इनके पास नहीं आई लेकिन वो कहते हैं न कि अगर मेहनत सच्चे मन से और लगातार हो तो खुदा भी पूछते हैं कि बता तेरी रजा क्या है, इन सभी के लिए महान शायर इक़बाल का पंक्ति उधार लेता हूँ और आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ कि-
” खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
खुदा बंदे से खुद पूछे, बता तेरी रजा क्या है”।
आइए मिलते है आज “रॉयल ग्रुप” के सदस्य से………
- संजय कुमार यादव – मधुरा, बैजनाथपुर, सहरसा के बेहद सामान्य कृषक परिवार में जन्मे श्री संजय ने विपरीत परिस्थितियों में जब आम तौर पर छात्र Give up वाले मुद्रा में आ जाते हैं ऐसे में इन्होंने न सिर्फ खुद के लिए तरीका बदला बल्कि अपने दोस्तों को भी प्रेरित किया। Sc. (MATH) के बाद ITI (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) से प्रशिक्षण लिया। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक रूप चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन रेलवे में ग्रुप D पद के लिए हुआ, फिर टेकनीशियन और वर्तमान में रेलवे में गार्ड के पद पर कार्यरत हैं। श्री संजय ने परिवार के बड़े पुत्र का दायित्व का निर्वहन जहाँ भलीभाँति किया और उनके छोटे भाई भी अब अच्छे स्थान पर हैं वहीं उन्होंने दोस्तों को भी राह दिखाने का कार्य किया।
- पंकज कुमार सिंह- गोरपार, नवहट्टा, सहरसा के सामान्य कृषक परिवार में जन्मे श्री पंकज सामान्य ज्ञान और गणित में अनुपम प्रतिभा के धनी थे। कई प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा में चयन तो हो रहा था किन्तु अंतिम रूप से चयन न होने के वजह से काफी विचलित होते लेकिन एक जिद कि “करना है तो करना है”। सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन रेलवे में A.P. पद के लिए हुआ, फिर रेलवे में CLERK और वर्तमान में रेलवे में J.A.A. के पद पर कार्यरत हैं।
- विवेकानंद सिंह- रकिया, सहरसा के सामान्य कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री सिंह यूँ तो सभी विषय में अच्छे थे, उनके समझाने के तरीके के कारण वे अपने ग्रुप के सभी के लिए आदर्श थे, वे एक कुशल शिक्षक थे, किन्तु समय की मार कहिए कि उन्हें अंतिम रूप से चयन के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक रूप चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन रेलवे में A.P. पद के लिए हुआ और वर्तमान में रेलवे में L.P. के पद पर कार्यरत हैं।
- नितिन कुमार सिंह- शाहजादपुर, मधेपुरा के एक सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री नितिन काफी सुलझे हुये, सकारात्मक सोच तथा सहयोगी रवैये वाले इंसान थे। श्री नितिन की इच्छा भी आम छात्र की तरह सरकारी नौकरी में जाने की थी किन्तु कई प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा में चयन तो हो रहा था किन्तु उन्हें भी अंतिम रूप से चयन के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। आखिरकार सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन बिहार सरकार में R.S. पद के लिए हुआ और वर्तमान में रेलवे में गार्ड के पद पर कार्यरत हैं।
- निशांत नीरज – गोलमा, सहरसा के एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री नीरज शैक्षणिक रूप से बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। कुछ पाने के प्रति उनकी जिद से सीख ली जा सकती है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक रूप चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन रेलवे में ग्रुप D के पद पर हुआ। ये उनका जिद ही था जिसके बल पर वो रेलवे के ग्रुप D के पद से रेलवे में ही TC फिर रेलवे में ही TA और फिर Enforcement Directorate में Assistant और फिर वर्तमान में Enforcement Directorate में Assistant director के पद पर पदस्थ हैं।
- नितीश कुमार – विराटपुर, सहरसा के एक सामान्य अधिवक्ता परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री नितीश का यूँ तो सपना PCS में जाने का था किन्तु समय, परिस्थिति और पारिवारिक कारणों की वजह से जब उनका विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक रूप चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन रेलवे में टेक्नीशियन के पद पर हुआ और उन्होंने उसे जॉइन कर लिया और फिर
रेलवे में ही ASM चयन होने पर वे उसे जॉइन कर लिये।
- सुदेश कुमार सुमन- धबौली, सहरसा से के बेहद सामान्य कृषक परिवार में जन्मे श्री सुमन बहुत ही प्रतिभासम्पन्न छात्र थे। वे हमेशा उच्च लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते थे किन्तु समय की मार कहिए कि उन्हें अंतिम रूप से चयन के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक रूप चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन रेलवे में टेक्नीशियन के पद पर हुआ।
- निगम कुमार – सुलिंदाबाद, सहरसा के कृषक परिवार में जन्मे श्री कुमार की इच्छा प्रारम्भ से ही शिक्षा के उपरांत खुद का बिजनेस करने का था और आज वो मेडिकल एजेंसी खोलकर एक सफल व्यवसायी के रूप में अपने आपको प्रतिस्थापित किया।
- नितिन कुमार- विराटपुर, सहरसा के एक सामान्य अधिवक्ता परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री कुमार की इच्छा प्रारम्भ से ही शिक्षा के उपरांत सहरसा में ही रहकर काम करने की थी और आज वो एक प्रतिष्ठित कंपनी में एक सफल MR के रूप में अपने आपको प्रतिस्थापित किया।
- रूपेश कुमार सिंह- पुरीख, सहरसा के एक सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री रूपेश साहित्य से शौकीन थे लेकिन आम छात्र की तरह उनकी इच्छा भी सरकारी नौकरी में जाने की थी किन्तु कई प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा में चयन तो हो रहा था किन्तु उन्हें भी अंतिम रूप से चयन के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। आखिरकार सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन रेलवे में A.P. पद के लिए हुआ और वर्तमान में रेलवे में L.P. के पद पर कार्यरत हैं।
- रितेश कुमार उर्फ निक्कू- शाहजादपुर, मधेपुरा के एक सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री निक्कू का यूँ तो सपना PCS में जाने का था किन्तु समय और परिस्थिति की वजह से जब उनका विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक रूप चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में ARP के पद पर हुआ और उन्होंने उसे जॉइन कर लिया और अभी भी PCS के लिए प्रयासरत है।
- मुकेश कुमार झा- पुरीख, सहरसा के एक सामान्य कृषक परिवार में जन्मे श्री झा मेहनती प्रवृति के छात्र थे। और ये उनका मेहनत ही था कि उस दौरान जब सरकारी नौकरी पाना आसान नहीं था तब कई प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा में चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन रेलवे में A.P. पद के लिए हुआ और वर्तमान में रेलवे में L.P. के पद पर कार्यरत हैं।
- मुकेश कुमार सिंह- परसरमा, सुपौल के एक सामान्य कृषक परिवार में जन्मे श्री मुकेश “रॉयल ग्रुप” के संस्थापक सदस्य के साथ ग्रुप के सफलता के प्रति काफी संवेदनशील सदस्य थे। कई प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा में चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन रेलवे में A.P. पद के लिए हुआ, फिर रेलवे में ही Guard पद के लिए हुआ और वर्तमान में रेलवे में के Guard पद पर कार्यरत हैं।
- आशुतोष कुमार सिंह- शाहजादपुर, मधेपुरा के एक बेहद सामान्य कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री आशुतोष अपने ही अनुज की नौकरी पहले लग जाने के बाद परिवार के बजाय तथाकथित समाज़ के तंज़ सहते हुये जिस दबाब में अपने आप को साबित किया वो आसान नहीं था। कई प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा में चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में Accountant के पद पर हुआ और वर्तमान में Accountant के पद पर कार्यरत हैं।
- अनुपम कुमार सिंह – आइए अब मिलते हैं “रॉयल ग्रुप” के सबसे छोटे और सबका प्यार पाने वाले आख़िरी सदस्य श्री अनुपम, शाहजादपुर, मधेपुरा के एक बेहद सामान्य कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले थे, का प्रारम्भिक लक्ष्य एक अदद नौकरी था। “कोसी की आस” टीम ने जब उनसे बात की तो उन्होंने माता-पिता और परिजनों के आशीर्वाद के बाद “रॉयल ग्रुप” के ही नितिन भैया का शुक्रगुजार बताया, वे बताते हैं कि जब भैया पटना चले गए थे तब उनका भाई है इस वजह से ही “रॉयल ग्रुप” की सदस्यता मिल पाई, और आगे बताने की जरूरत नहीं है। कई प्रतियोगी परीक्षा में प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा में चयन होने के उपरांत सर्वप्रथम उनका अंतिम रूप से चयन बिहार सरकार में R.S. पद पर हुआ फिर रेलवे में A.L.P. पद, दिल्ली सरकार में क्लर्क, सीएजी में Accountant और वर्तमान में AAO के पद पर कार्यरत हैं।
(यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं।)
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