तेरे-बिन

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रितेश : हन्नी
कोसी की आस@सहरसा

मेरी दुनिया हो तुम,
मेरी सारा जहाँ हो तुम,
तू बता ना मेरी दुनिया,
कैसे जियूँ में तेरे बिन।।

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मैंने कल भी सपने देखे,
मैंने आज भी सपने देखे,
तेरे साथ हूँ वो सपने भी आते हैं,
वैसे अपने भी नहीं आते तेरे बिन।।

तू मेरी प्यारी-सी गुड़िया हो,
तू मेरी एकलौती सी पुड़िया हो,
कटते नहीं हैं एक भी पल तेरे बिन,
मैं ज़िन्दगी कैसे गुजारूं तेरे बिन।।

प्यार भी अंगड़ाई ले रही है आज,
परछाइयां भी अंगड़ाई ले रही है आज,
मुझे ज़िन्दगी जीने की तलब थी,
वो सपने अधूरे हो रहे हैं तेरे बिन।।

(कविता में पुड़िया का संदर्भ प्यार से है।)

— राहुल की कलम से।

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