सहरसा :- चुनाव का नशा ही कुछ अजीब होता है। जीते हुए विधायक, पूर्व विधायक व कद्दावर नेताओं की भीड़ में कुछ ऐसे लोग भी पटना में महीनों से टिकट के लिए कैंप किए हुए हैं, जिनके बारे में पार्टी के आकाओं ने शायद सोचा भी नहीं होगा। सहरसा जिले के प्रमुख दलों में भी कुछ इसी तरह के हालात हैं।
इस बीच सहरसा डीडीसी कार्यालय के एक आशुलिपिक ने टिकट पाने की मंशा से सेवानिवृत होने के सात साल पहले ही अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर सभी नेताओं को चौंका दिया है। महिषी विधानसभा क्षेत्र से लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे डॉ. अब्दूल गफूर के निधन के बार रिक्त पड़ी इस सीट पर जहां उनके पुत्र समेत कई बड़े नेता भी दावेदारी दे चुके हैं।
सेवानिवृति से सात साल पहले पार्टी का टिकट पाने के लिए दे दिया सरकारी नौकरी से इस्तीफा
महिषी विधानसभा से दावेदारी पेश करने तथा लालू प्रसाद से मिलने रांची जा रहे पूर्व जिला पार्षद बिजेन्द्र यादव की रास्ते में ही सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वहीं अचानक सरकारी नौकरी को छोड़कर आशुलिपिक ने कई नेताओं की नींद हराम कर दी है। आखिरकार उन्हें टिकट पाने का आत्मविश्वास कैसे पैदा हुआ और उसका परिणाम क्या होगा? उस पर लोगों की निगाहें अभी से टिकी हुई है, परंतु इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने को आतुर आशुलिपिक का कहना है कि उन्होंने बहुत कुछ सोचकर राजद सुप्रीमो के पास अपनी दावेदारी पेश की है, उन्हें भरोसा है कि पार्टी सुप्रीमो उनके बायोडाटा पर जरूर विचार करेंगे।
दरअसल पूर्व मंत्री डॉ. अब्दूल गफूर के गांव भेलाही के ही रहने वाले हैं आशुलिपिक। ऐसे में अपने बायोडाटा में दो बार मुखिया पद के लिए चुने जा चुके पिताजी का उल्लेख, भाई के पंचायत समिति सदस्य और वर्तमान में बहन के मुखिया पद पर निर्वाचन के साथ पिताजी के वर्ष 2002 में स्थानीय निकाय प्राधिकार चुनाव में लड़ने और तीसरे स्थान पर रहने का जिक्र करते हुए अपने परिवार की राजनीतिक व सामाजिक पृष्ठभूमि का हवाला देकर टिकट के लिए विचार करने का आग्रह किया है। वहीं इस सीट का टिकट वितरण भी काफी रोचक हो गया जिसपर लोगों की निगाहें टिकी हुई है। हालांकि इस सीट के टिकट का परिणाम जो हो, परंतु उक्त आशुलिपिक ने नौकरी से इस्तीफा देकर एक नई हवा चला दिया है।
रितेश : हन्नी
कोशी की आस@सहरसा