बिहार के गरीब छात्र के लिए वरदान निःशुल्क शैक्षणिक संस्थान “महावीर क़्वीज एवं टेस्ट सेंटर” सासाराम के स्थापना दिवस समारोह मे बतौर मुख्य अतिथि आरके श्रीवास्तव शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि संस्था के संचालक और उनके टीम के द्वारा दिये गये सम्मान के लिए सदा आभारी रहेगे। उन्होंने कहा कि इस महावीर मंदिर के प्रांगण में पेड़ के नीचे पढकर 500 से अधिक छात्रों को सरकारी नौकरी मिलना अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय है। 2006 में इस संस्थान की नींव प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छोटेलाल कुशवाहा जी एवं उनके अन्य साथियों के द्वारा की गयी, तब से लेकर आज तक यह संस्थान चल रहा है और 500 से अधिक छात्र इस निःशुल्क संस्थान में पढाई कर विभिन्न सरकारी पदों पर कार्यरत हैं। इस प्रकार स्टूडेंट्स के लिए यह संस्थान वरदान है। मजदूर, गरीब, किसान का बेटा उम्मीद से गांव छोड़कर सासाराम में रुम लेकर काफी कठिनाइयों में रहकर पढाई करते हैं और अंतत वे इस संस्थान के माध्यम से अपने सपने को पंख लगा रहे हैं।
सुपर थर्टी से कम सुपर नहीं “महावीर क़्वीज एवं टेस्ट सेंटर” —
बिहार के पटना में चल रहे शैक्षणिक संस्थान सुपर थर्टी पर हाल ही में एक फिल्म बना है, जो काफी चर्चा में रहा। लेकिन सासाराम में सुपर थर्टी जैसा ही एक और सुपर शिक्षण संस्थान है जिसका नाम है- “महावीर क़्वीज एवं टेस्ट सेंटर”। इस सेंटर ने बीते 20 सितम्बर को अपना तेरहवाँ स्थापना दिवस मनाया, बिना किसी संसाधन के इस संस्था ने कार्य आरंभ कर आज जो मुकाम हासिल किया है और जिस तरफ तेजी से अग्रसर हो रहा है उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है।
सुपर थर्टी से सुपर “महावीर क़्वीज एवं टेस्ट सेंटर” को इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि सुपर थर्टी आईआईटी प्रवेश परीक्षा में स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए तैयारी करा कर उन्हें नामांकन के लिए सफलता दिलाने में कामयाब हो रही है, लेकिन “महावीर क़्वीज एवं टेस्ट सेंटर” द्वारा शिक्षा ग्रहण कर युवक सीधे सरकारी नौकरी प्राप्त कर रहे हैं। और सबसे महत्वपूर्ण बात कि मात्र 13 वर्ष की कम अवधि में 500 से अधिक छात्र सरकारी नौकरी में देश के लगभग सभी विभागों में कार्यरत हैं। इस प्रकार यह संस्थान लगातार सफलता के पथ पर अग्रसर हो रहा है। संस्थान के संस्थापक छोटेलाल सिंह सासाराम तथा उनकी टीम के सदस्यों की जितनी प्रशंसा की जाये वह कम है।
क्या कहा मैथेमैटिक्स गुरू फेम आरके श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में—-
अपने संबोधन में आरके श्रीवास्तव ने स्टूडेंट्स को सफलता के मूल मंत्र दिये। उन्होंने बच्चों को कङी मेहनत, ऊँची सोच और पक्के ईरादे के साथ निरंतर जीवन में आगे बढने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महान हिन्दी भाषा के लेखक प्रेमचन्द के जीवनी पर अपने संबोधन मे प्रकाश डाला, उनके जीवनी पर एक कहानी सुनाते हुए छात्रों को आगाह किया कि यदि आपको स्थायी सफलता पाना है तो दिखावे से बचें। “महावीर क़्वीज एवं टेस्ट सेंटर” के छात्रों को आरके श्रीवास्तव ने अपने संबोधन के दौरान सेल्फ स्टडी करने एवम बेहतर इंसान बनने हेतु शपथ दिलवाया।
शपथ पत्र इस प्रकार था—-
“मै शपथ लेता/ लेती हूँ कि मै स्कूल और कोचिंग के अलावा कम-से-कम 7 से 8 घंटो तक सेल्फ स्टडी करूँगा/ करूँगी।
मै यह भी शपथ लेता/लेती हूँ कि अपने माता-पिता के आशाओ के अनुरूप या उससे बेहतर परिणाम दूँगा/ दूँगी।
मै यह भी वचन देता/देती हूँ कि अपने से छोटे को प्यार, बङो को आदर और दोस्तो से बेहतर व्यवहार करूँगा/करूँगी।”
मै यह भी शपथ लेता/लेती हूँ कि हमेशा सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का प्रयास करूँगा/करूँगी।
जय हिंद, जय भारत।
आपको बताते चले की वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रूपया गुरू दक्षिणा लेकर छात्रों को गणित का गुर सिखाते है। सैकड़ों आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना चुके हैं। वे छात्रों को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई, एनडीए सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानो में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा रहे हैं।