चलो आज फिर दिए जलाएँ

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कुमुद रंजन झा “अनुन्जया”
कोसी की आस@सुपौल

चलो आज फिर दिए जलाएँ,
मान का, सम्मान का,
प्रतिष्ठा के प्रतिमान का।।

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चलो आज फिर दिए जलाएँ,
विवेक और ज्ञान का,
अध्यनन के विविध आयाम का।।

चलो आज फिर दिए जलाएँ,
अथक प्रयासों के परिणाम का,
संतुष्टि के मुस्कान का।।

चलो आज फिर दिए जलाएँ,
सफलता के श्रेष्ठतम फलक पर,
कोशी के संतति के कीर्तिमान का,
चलो आज फिर दिए जलाएँ।।

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