सोनू आलम बलराम कुमार
कोसी की आस@त्रिवेणीगंज,सुपौल।
मामला सुपौल जिले के सदर अमठो गांव की है। सरकार दहेज लेन देन को लेकर सख्त कानून बनाया है। पर जमीनी सच्चाई यह है कि बिना दहेज के एक भी शादी नहीं हो रही है। यह अलग बात है कि तरीके बदल गये हैं। यही कारण है कि दहेज कि डिमांड पर आए दिन नवविवाहिता प्रताड़ित होती रही है लेकिन दुख की बात यह है कि पीड़िता का दर्द कानून के नुमाइंदे भी सुनने को तैयार नहीं पैसे और पहुंच के आगे कानून की किताब को अमल करने वाले भी उदासीन हो जाते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी रम्भा कुमारी की है।
सुपौल सदर थाना क्षेत्र के अमठो गांव जहां एक पिता ने अपनी बेटी रम्भा कुमारी की शादी अपने हैसियत के मुताबिक बड़े ही धूमधाम से किया था। बताया जा रहा है कि काफी जद्दोजहद के बाद नकद सवा दो लाख रुपए दहेज देकर परसौनी के मुकेश मुखिया से 22 फरवरी को शादी सम्पन्न हुई, जिसके बाद रम्भा कुमारी अपने ससुराल गई। आरोप है कि ससुराल में शादी के कुछ ही दिनों के बाद रम्भा कुमारी से दहेज में बाईक का डिमांड किया जाने लगा, लेकिन रम्भा अपनी पिता कि हैसियत देख बाईक लाने से इनकार करती रही आरोप है की इसी बात को लेकर रम्भा के साथ उसके ससुराल वाले लगातार मारपीट करने लगे जिस बात को लेकर रम्भा कुमारी के पिता गिजेन मुखिया भी रम्भा कुमारी के ससुराल जाकर कई बार ग्रामीण स्तर पर पंचायत किया और आमद होने पर बाईक देने का आश्वासन भी दिया। लेकिन यह बात बेटी के ससुराल वालों को नागवार गुजरा और आरोप है कि एक बार तो पंच के सामने में ही रम्भा कुमारी एवं उसके पिता की भी पिटायी कर दी।
वहीं प्रताड़ना का खेल बदस्तूर जारी रहा इस बीच फिर ससुराल वालों ने रक्षा बंधन के दिन रम्भा कुमारी को बेरहमी से पीटा और इस बार घर से भी भगा दिया किसी तरह रम्भा कुमारी घायल अवस्था में अपने नैहर अमठो पहुंची जहां गिजेन मुखिया द्वारा सदर अस्पताल में बेटी का ईलाज करवाया जिसके बाद रम्भा कुमारी ने न्याय के लिए महिला थाने में आवेदन देकर गुहार लगाई।
वहीं पीड़िता के परिजन का कहना है कि उसके द्बारा महिला थाना में दिए गये आवेदन को करीब एक सप्ताह बीत गया पर आज तक मामला दर्ज नहीं हो सका है। ना ही इस मामले में कोई कार्रवाई हुई है जिससे ससुराल वालों का हौसला बुलंद है। ऐसे में पीड़िता सहित परिवार वाले गहरे सदमे में है। बताया तो यह भी जा रहा है कि कहने पर समुचित औपचारिकता भी किया गया। बावजूद मामला दर्ज नहीं होने से पीड़िता मर्माहत है और कहीं से भी न्याय पाने कि सारी उम्मीद भी उसकी खत्म होती नजर आ रही है, वही इस बाबत महिला थानाध्यक्ष कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से परहेज कर रही है, अब सवाल उठता है कि एक पीड़ित जिसका परिवार महज एक बाईक के लिए टूट रहा है। उसे प्रताड़ित किया जा रहा है, ससुराल से भगा दिया गया है। वो भी महज एक बाईक के लिए ऐसे में कानून तो बाद की चीज है। संवेदना के दो बोल भी अगर कानून के नुमाइंदे नहीं बोल सकते ससुराल के द्बारा दिए गये अनगिनत घाव पर थोड़ी सी मरहम भी नहीं लगा सकते हैं तो फिर क्या होगा, उस कानून का। जिसे सरकार ने बड़े ही फक्र से लागू किया है कि दहेज लेना अपराध होगा। इस मामले से तो लोग यही कह रहे हैं कि यहां तो दहेज लेने वालों की चाकरी होता प्रतीत हो रहा है वर्ना एक सप्ताह के बाद भी दहेज लोभियों के विरुध करवाई जरूर होती।