सोनू/रवि रौशन
कोसी की आस@सुपौल।
जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय क्षेत्र अंतर्गत बघला नदी किनारे माँ करनी चिमनी भठ्ठा जाने वाली सड़क किनारे के किनारे एक बार फिर से मानवता को शर्मसार किया गया है।
यहाँ बात हो रही एक माँ की कोख से उत्पन्न संतान की, 9 महीनों तक अपने खून से अपने कोख में बच्चे को सींचने वाली एक माँ की ममता आखिर में मर कैसे जाती है?
आखिर ऐसा क्यों हुआ? कुछ तो बात रही होगी, कोई तो चूक हुई होगी!
सवाल यह है कि एक नवजात शिशु को दुनिया में आने के साथ ही क्यों फेंक दिया जाता है? आखिर उस नवजात शिशु की क्या गलती है? नवजात शिशु ने किसका क्या बिगाड़ा है? जिसे पैदा होने के साथ ही बलि का बकरा बनाकर नदी किनारे फेंक चील, कैवे आदि के नोंच खाने का शिकार बनने छोड़ दिया जाता है।
ग्रामीणों ने बताया की आज से करीब दो महीने पूर्व में भी यहाँ से थोड़ी सी दूरी पर नवजात शिशु का शव मिला था। आज फिर से नवजात शिशु शव देखने को मिल रहा है। बताया जा रहा है कि इससे पूर्व जो नवजात शिशु का शव जिस दवाई के कार्टून में मिला था, उस दवाई के कार्टून पर त्रिवेणीगंज प्राइवेट क्लिनिक का नाम साफ अक्षरों में लिखा था लेकिन प्रशासन द्वारा इस और ध्यान नहीं दिया गया, ना हीं इसकी छानबीन की गई।
बताया जा रहा है कि शहर बाजार में कई अवैध या गैर कानूनी तरीके से प्राइवेट क्लिनिक चलाया जा रहा है। ज्यादातर प्राईवेट क्लिनिक ही चंद रुपयों के लिए मानवता को शर्मसार करने का काम में शामिल रहता है। ग्रामीणों का कहना था कि पूर्व में हुए घटना का समय रहते प्रशासन छानबीन कर कार्यवाही की होती तो आज फिर यह दिन देखना नहीं पड़ता।
आज फिर नवजात शिशु शव के कार्टून पर पता लिखा हुआ है। प्रशासन चाहे तो छानबीन कर कार्यवाही कर सकती है,
जिससे बार-बार मानवता को शर्मसार होने से रोका जा सके।