पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की 47वीं पुण्यतिथि राजकीय समारोह के रूप में मनाई गई

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सुपौल : भारत सरकार के भुतपूर्व रेल मंत्री स्व. ललित नारायण मिश्र की 47वीं पुण्यतिथि 3 जनवरी रविवार को उनके पैतृक गांव बलुआ बाजार स्थित समाधि प्रांगण में राजकीय सम्मान के साथ मनाया गया। पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डीडीसी मुकेश कुमार सिन्हा पहुंचे, इस बार उक्त आयोजन में पूर्व की भांति कोई मंत्री उपस्थिति नही हो सके।

कार्यक्रम का विधिवत शुरुआत मुख्य अतिथि डीडीसी मुकेश कुमार सिन्हा, एसपी मनोज कुमार, त्रिवेणीगंज एसडीएम शेख जेड हसन आदि ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलित कर किया। उसके बाद मुख्य अतिथि समेत मंचासीन अन्य वक्ताओं ने अपनी बात रखी।

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बता दें कि बलिदान दिवस के रूप में मनाई जाने वाली स्व. ललित बाबू की पुण्यतिथि का आगाज सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। जिसके बाद मुख्य अतिथि समेत अन्य अतिथियों ने ललित नारायण शिव मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके बाद पुलिस के जवानों ने शोक सलामी के तहत गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी दी। इसके साथ ही मुख्य अतिथि समेत अन्य पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि ने ललित बाबू के आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इस मौके पर मुख्य अतिथि डीडीसी मुकेश कुमार सिन्हा, एसपी मनोज कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। इसके अलावे बड़ी संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित गणमान्य लोग इस कार्यक्रम के साक्षी बने। सामारोह के दौरान डीडीसी श्री सिन्हा ने कहा कि ललित बाबू के बताए मार्ग और उसके सपने को साकार करने के लिए तमाम कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि मैं रहूं या ना रहूं बिहार आगे बढ़ कर रहेगा। उनकी ये सोच आज मूर्त रूप में लोगों को देखने को मिल रही है। इसके साथ ही उन्होंने ललित बाबू के किये कार्यों की विस्तृत रूप से चर्चा की। जबकि कई वक्ताओं ने पूण्य तिथि के इस कार्यक्रम में मंत्री, मुख्यमंत्री की भी उपस्थिति हो इसकी मांग रखी। उन्होंने कहा कि पूण्य तिथि के इस कार्यक्रम में अनदेखी नही होना चाहिए तभी ललित बााबू के प्रति सच्ची श्रधांजलि होगी।

वहीं एसपी मनोज कुमार ने कहा कि ललित बाबू कोशी पुत्र थे। यहां के लोग उनके कार्यों के बदौलत उन्हें विकास और कोशी पुत्र मानते रहे हैं। ललित बाबू ने रेलवे के क्षेत्र में जो कार्य किया वो यहां के लोग नही भूल सकते है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जहाँ सभी कार्यक्रम का आयोजन फीकी और उदासी में हुई है। इसलिए इस विशेष परिस्थिति में राज्य सरकार के प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री जी के उपस्थिति या अन्य तरह के दिक्कतों को माफ करना चाहिए।

उन्होंने कार्यक्रम के दौरान मंच के माध्यम से कुछ लोगों की भावना पर दु:ख व्यक्त किया। कहा कि ललित बाबू ऐसे व्यक्ति थे। जिन्होंने अपनी पहचान सोच, कार्यक्षमता से बनाई। उनके पूण्य तिथि के कार्यक्रम में सवाल पैदा किसी को नही करना चाहिए कि ललित बाबू कोशी पुत्र थे। उनके व्यक्तित्व और कृतत्व के बारे में युवाओं को बताने की जरूरत है। ताकि युवाओं को उनके कुशल कार्यक्षतमता से सिख मिल सके।

उन्होंने कहा कि पूण्य तिथि का यह मंच युवाओं को ललित बाबू के कुशल व्यक्तित्व और उनके कृतित्व को बताने का मौका होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के दौरान उन्होंने पूर्व रेल मंत्री ललित बाबू की जीवनी को विस्तृत रूप से पढ़े है। बताया कि वे इतिहास के छात्र थे। पढ़ाई के दौरान उन्हें ललित बाबू के जीवनी को पढ़ने का मौका मिला था। वही कई वक्ताओं ने कहा कि ललित बाबू का एक कथन मैं रहू न बिहार बढ़ के रहेगा। तभी कोशी वासियों को उनकी याद तरोताजा कर देती है। ललित बाबू कोशी पुत्र थे। आज अगर ललित बाबू होते तो कोशी की स्थिति और बेहतर होती। उनकी कमी आज भी लोगो को खल रही है। वक्ताओं ने कहा कि ललित बाबू की आखरी शब्द हम रहे ना रहे बिहार बढ़ कर रहेगा । के तहत सभी को संकल्पित होकर उनके अधूरे सपने को पूरा करने के लिये आगे आने की जरूरत है।

पूर्व मुखिया जय कृष्ण गुरमेता की अध्यक्षता और संचालन में आयोजित समारोह को ललित बाबू के पौत्र सुमित मिश्रा, संजीव भगत, प्रमोद यादव, जय कृष्ण गुर मे ता, समेत कई वक्ताओं ने भी सबोधित किया। मौके पर एसपी मनोज कुमार, एसडीएम शेख जेड हसन, बीडीओ अजीत कुमार सिंह, सीओ सुमित कुमार, पीओ अमरेंद्र कुमार, संजय कुमार मिश्रा, स्थानीय मुखिया राम जी मंडल , सुमित कुमार, एन के सुशील, सीता नंद झा, संजय कुमार , शिशुपाल सिंह , मजहरुल हक खा, गणेश झा, सोनू भगत, प्रभात झा आदि उपस्थित थे।

एन के सुशील
कोशी की आस@सुपौल

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