विभिन्न मांगों को लेकर बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले विगत 17 फरवरी से लाखों प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षक हड़ताल पर हैं। हड़ताल के 63 वें दिन तक सुपौल सहित सूबे बिहार के 53 शिक्षक एवं शिक्षकाएं ने आर्थिक तंगी की वजह से दम तोड़ दिया है और सरकार संवेदनहीन बनी हुई है। उक्त बातें बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति अध्यक्ष मंडली पंकज कुमार सिंह ने मीडिया को कही।
उन्होंने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा मृतक शिक्षकों को 4 लाख रुपए अनुदान की घोषणा महज छलावा है। सरकार शिक्षकों के लाश पर राजनीति छोड़ मृतक के परिजन को 20 लाख मुआवजा और सरकारी नौकरी प्रदान करें। समन्वय समिति निरंतर इस कोरोना महामारी में भी हड़ताल में रहकर सेवा प्रदान करते रहे है। लेकिन सरकार हड़ताली शिक्षकों से वार्ता करने के बजाए उन्हें प्रताड़ित कर रही है। शिक्षा मंत्री द्वारा बिना वार्ता के हड़ताल तोड़ने की अपील लाखों हड़ताली शिक्षकों के साथ क्रूर मजाक है।हड़ताल मांगे पुरी होने तक हर कीमत पर जारी रहेगा ।
उन्होंने आगे कहा कि जिस कोरोना वायरस की वजह से पुरा देश लाॅकडाउन है, उस कोरोना वाइरस से जहां बिहार में एक लोग काल कलवित हुए है, वही नियोजनवाद की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे 53 शिक्षकों की हड़ताल अवधि के दौरान जान चली गई है। सरकार अविलंब वीडियो कांफ्रेंसिग से वार्ता कर सभी समस्याओं का समाधान करें, अन्यथा 05 मई को लाखों हड़ताली शिक्षक सरकार की शिक्षा व शिक्षक विरोधी नीति के खिलाफ महामहिम राज्यपाल के समक्ष आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे।
एन के सुशील
कोशी की आस@सुपौल