कई दशक बीत जाने के बाद भी सुशासन बाबू के राज में विकास की राह देख रहा महादलित परिवार

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सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय मुख्यालय क्षेत्र अंतर्गत वरकुरवा पंचायत के सिकयहा वार्ड नं0 7 की है।
महादलितों ने बताया कि कई दशक बीत जाने के बाद भी आजतक हमलोग विकास की राह संजोए हुए हैं। सुशासन बाबू के राज में करोड़ों अरबों रुपये की लागत से विकास की तथाकथित गंगा बह रही है। लेकिन हमलोग महादलित बस्ती वाले हैं, जो आज भी इंतजार कर रहे हैं कि सुशासन बाबू की बह रही गंगा कबतक यहां पहुँचेगी।

उनलोगों ने बताया कि हाँ, एक बात तो जरूर दिख रही है। विकास की गंगा तो नहीं पहुंची है, लेकिन वर्षा होने के बाद घर आंगन में जल की गंगा जरूर बहने लगती है। वहीं महादलितों ने ये भी बताया कि 2011 में जदयू के विधायक अमला देवी एवं जिला समाहरणालय में आवेदन भी दिया गया।

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सड़क बनने का नक्शा भी बनकर तैयार हो गया था, लेकिन आजतक इस महादलित बस्ती की ओर कोई भी पदाधिकारी हो या क्षेत्रीय प्रतिनिधि हो किसी की भी निगाहें आज तक नहीं पड़ी। साथ ही महादलितों ने यह भी बताया कि चुनाव के समय में सभी प्रतिनिधिगण आते हैं तो छोटे हो या बड़े महिला हो या पुरुष का पैर छूते हैं। विकास के नाम पर बड़ी बड़ी बातें करते हैं। बड़े बड़े सपने दिखातें हैं। अपने अपने बच्चों की झूठी कसम तक खाते हैं। लेकिन जीत के बाद कोई भी प्रतिनिधि दुबारा हाल चाल तक भी पूछने नहीं आते हैं।

उनलोगों ने कहा कि विकास तो दूर की बात है। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव के समय में प्रतिनिधिगण किस हद तक जा सकते हैं। कोरोना वायरस जैसे महामारी में चल रही लगातार बंदी के दौरान भी कोई प्रतिनिधिगण झांकी तक देने नहीं आए। बरसात के समय में जब कोई बीमार पड़ता है तो पानी में तैर कर बीमारी को टोकरी के सहारे माथे पर लेकर जाना पड़ता है। किसी भी प्रतिनिधि से विकास की बात करने जाते हैं तो डांट कर भगा देते हैं और कहते हैं कि हमसे ये काम नहीं होगा।

हालांकि महादलितों ने बस्ती में विकास नहीं होने से काफी नाराजगी जताते हुए वोट का बहिष्कार भी किया। एक तरफ सुशासन बाबू महादलितों के शुभ चिंतक माने जाते हैं।
तो दूसरी तरफ विकास के नाम पर महादलित ही विकास से वंचित रहते हैं। अब देखना लाजमी होगा की महादलितों के शुभ चिंतक सुशासन बाबू की सरकार कब तक महादलितों की समस्याओं का समाधान करते हैं।

सोनू कुमार भगत
कोशी की आस@सुपौल

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