सुपौल : मदीना सऊदी अरब से आए हकीम के द्वारा नये शिक्षा-सत्र का आगाज

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सोनू आलम/बलुआ बाजार/सुपौल

मधूबनी गांव स्थित जामियेतुल दारूल उलूम-ईल इस्लामियां मदरसा में सोमवार को मदीना सऊदी अरब से पधारे हकीम मुहम्मद उस्मानी मदनी द्वारा कुरान और बडौदा से आये मौलाना रफीद ने मिसकत (हदीस) का पाठ बच्चों को पढ़ाकर मदरसा के नये शिक्षा-सत्र का आगाज किया गया। इस मौके पर मदरसा के संस्थापक सह सीमांचल डेवल्पमेंट के अध्यक्ष मुफ्ती महफूजुर्रहमान उस्मानी और महासचिव शाहजहां शाद ने कार्यक्रम में आये सभी मेहमानों का खेरमकदम शाल भेंट कर किया। तकरीर करते हुए मौलाना रफीद ने कहा कि आप सभी बच्चे इमान से गुजरना। अल्लाह ने इमान का मिजाज हर मोमीन के दिल में दिया है। अगर वो दिल से इमान के चिराग को बुझा देगा तो सब कुछ बेकार हो जायेगा। इसलिए जो भी मेहनत करना, वो इमान और खुशी के साथ करना। चोरी, डकैती और अमानत से ख्यानत न करना। कार्यक्रम में भाग ले रहे, विस्फी के विधायक फैयाज आलम और ठाकुरगंज के विधायक सह सचेतक नौशाद आलम ने कोशी के इस ग्रामीण क्षेत्र में परेशानियां और कठिनाइयों का सामना करते हुये जो मदरसा की ईमारत खड़ी है, उसके लिए उन्होंने मुफ्ति श्री उस्मानी की जमकर तारीफ की तथा कहा कि इस सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में इस मदरसा के जरीये कौम के असहाय गरीब बच्चों को तालीम दिया जा रहा है और उनके भविष्य को संवारने का काम किया जा रहा है।

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मुफ्ती श्री उस्मानी ने कहा कि कोई भी कौम तालीम के वगैर तरक्की नहीं कर सकता। तालीम हीं एक ऐसी चीज है जो इंसान और जानवर में फर्क करता है। इल्म एक ऐसा हथियार है जो पूरी दुनियां में हुकूमत कर सकता है उन्होंनें कहा कि बिहार की धरती पर 2500 वर्ष पूर्व नालंदा युनिवर्सिटी हुआ करती थी। जो पूरी दुनियां को इल्म, अदब और दोस्ती का पैगाम देती थी। मैनें तीस वर्ष पूर्व मधूबनी गांव के इस बंजर जमीन पर तीन शिक्षक और तीस बच्चों के साथ मदरसा की शुरूआत की थी। आज तकरीबन एक हजार विभिन्न जगहों के अनाथ असहाय गरीब बच्चे तालीम ले रहे हैं। पिछले तीस वर्षों में दस हजार बच्चे ने तालीम ले अपनी तकदीर बदली है। मौके पर कारी अहम्मद शम्सी ने कलाम पेश किया। कार्यक्रम में डा. फिरोज, खलीलुर अंसारी, मो. मजहर भी शामिल थे। कार्यक्रम का सफल संचालन मौलाना अंसार ने किया।

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