सुपौल : सदर अस्पताल में मरीजों के जान से होता है, खिलवाड़।

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सोनू/अक्षय

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कोसी की आस@सुपौल

जिले के सदर अस्पताल में मरीजों के जान से खिलवाड़ करने का एक बड़ा उदाहरण सामने आया है। दरअसल 3 तारीख की रात भपटियाही के रहनेवाली महिला मरीज को प्रसव पीड़ा हुआ जिसके बाद उसके परिजन उसे नजदीकी अस्पताल भपटियाही लेकर गए लेकिन प्राथमिक उपचार के बाद भपटियाही के डॉक्टर ने प्रसव पीड़ित महिला को सदर अस्पताल रेफर कर दिया। सदर अस्पताल के डॉक्टर द्वारा इलाज शुरू किया गया।

परिजनों के द्वारा बताया गया कि मौजूद डॉक्टर ने प्रसव पीड़ित महिला शबनम देवी (काल्पनिक नाम) को सदर अस्पताल के पैथोलॉजी में खून और पेशाब सहित अन्य जांच करवाया, डॉक्टर ने जांच रिपोर्ट देखने के बाद उसे बाहर रेफर कर दिया, इधर मरीज के परिजनों की माली हालत ठीक नहीं था। लिहाजा परिजनों ने सदर बाजार स्थित एक बड़े निजी नर्सिंग अस्पताल में प्रसव पीड़ित को भर्ती कर दिया, जहाँ उसकी हालत अभी ठीक ठाक है।

परिजनों ने आगे बताया कि निजी नर्सिंग होम में फिर से प्रसव पीड़िता का खून जांच आदि करवाया गया, जहां सदर अस्पताल और नर्सिंग होम के जांच में भारी अंतर सामने आया है। यह विसंगति अस्पताल में व्याप्त कमियों की पोल खोल रही है। जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अगर ऐसी व्यवस्था है, तो अन्य अस्पतालो में क्या होगा? ये महज अंदाजा ही लगाया जा सकता है।

मरीज के परिजन इतनी बड़ी चूक से सदमे में है और भगवान का शुक्र अदा कर रहे हैं कि उन्होंने सदर अस्पताल में प्रसव पीड़िता का इलाज नहीं करवाया वर्णा एक बड़ी घटना घट सकती थी। सदर अस्पताल के पैथोलॉजी में प्रसव पीड़िता के खून जांच में बी पोसिटिव बताया गया है जबकि उसी प्रसव पीड़िता को जब निजी नर्सिंग होम में भर्ती कर खून जांच करवाया गया है तो वहां उसका ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव बताया है। इतनी बड़ी चूक खून जांच में होने से मरीज को गलत ग्रुप का खून चढ़ा दिया जाएगा, जिससे उसके जान को बड़ा खतरा हो सकता है।

फिलहाल प्रसव पीड़िता का निजी नर्सिंग होम में सिजेरियन किया गया है, जहां जच्चा और बच्चा दोनो सुरक्षित हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल में जब गलत इलाज होने लगे तो गरीब लोग कहाँ इलाज कराने जाएंगे। अब देखना महत्वपूर्ण है कि सुशासन बाबू के राज में स्वास्थ्य व्यवस्था में कब तक सुधार आती है।

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