सुपौल जिले के छातापुर के कबीर मठ हरिहरपुर में 18वीं शताब्दी के संस्थापक परम पूज्य महन्त अगुवान गोस्वामी साहेब के पावन स्मृति पर एक दिवसीय सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। यह कार्यक्रम महन्त सचिदानंद गोस्वामी एवं महामंडलेश्वर महन्त रघुनन्दन गोस्वामी साहेब (बन्नी खगड़िया ) के सानिध्य में आयोजित हुआ।
कबीर मठ सहवानी के महन्त भूप नारायण बाबा ने लोगों को सद्मार्ग पर चलने की बात कही। उन्होंने कहा कि मानव जीवन 84 लाख योनियों में भटकाव के बाद मिलता है। इसलिए लोगों को मानव जीवन को सफल बनाने के लिए भक्ति, भजन नित्य करने की आवश्यकता है। नशा, चोरी, लोभ ईर्ष्या से लोगो को बचने की जरूरत है। पूज्य महन्त अगुवान साहेब का जीवन अत्यंत सहज स्वभाव थे, जिन्होंने इस मठ के निर्माण में अपनी अहम योगदान दिये।
वही मंडलेश्वर साहेब ने कहा कि 18वीं शताब्दी के विद्वान संत अगुवान साहेब ने इस मठ के निर्माणक हैं, जिन्होंने परिवर्तनशील युग के साथ सद्गुरु कबीर साहेब के ज्ञान के प्रचार प्रसार में अपना बहुमुल्य जीवन योगदान दिया, जबकि कबीर आश्रम सहवानी के उत्तराधिकारी अमरदीप गोस्वामी साहेब ने कहा कि इस मठ के निर्माणकर्ता से हम सभी को यह शिक्षा मिलती है कि अपने किये हुए कर्म के अनुसार आदमी महान होता है। इसलिए कहा गया है “कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करे सो तस फल चाखा ” पर विशेष चर्चा किया। वही कबीर मठ बन्डीहा से संतोष गोस्वामी ने कहा कि “गुरु मुरती गति चन्द्रमा, सेवक नयन चकोर ” सेवक को चाहिए कि चकोर के समान अपने को रखे, यदि हम गुरु के चरणों में अपने आपको लगाये रखेंगे तो हम सभी मानवों का भी कल्याण सम्भव हो सकता है।
इलाहबाद से आये संत रविन्द्र साहेब ने कहा कि- संत दरश को जाइये ताजी माया अभिमान , ज्यों-ज्यों पग आगे धरे कोटि यज्ञ समान । संत के दर्शन मात्र से मानव के कष्टों का हरण हो जाता है। व्यवस्थापक महन्त हरिओम शरण गोस्वामी ने कहा कि- स्थानीय लोगों ने जो योगदान दिया है, वह बहुत ही सराहनीय है। संत गुरूजनों की असीम कृपा हम पर बनी रहे तो इसी कार्यक्रम को वार्षिक के रुप में विगत वर्षों से मनाते रहेंगे। कबीर मठ बन्नी के उत्तराधिकारी राधाकृष्ण गोस्वामी ने कहा कि संगति से सुख उपजे, कुसंगति से दुख होय। कहहिं कबीर तहाँ जाइये, जहाँ अपनी संगति होय आदि दोहो के माध्यम से लोगों को सद्मार्ग पर चलने की बात कही। मौके पर महंत बेचन साहेब , उपेन्द्र साहेब, सरयुग प्रसाद मंडल , प्रो. चन्देश्वरी प्रसाद भुस्कुलिया , नागेश्वर प्रसाद भुस्कुलिया , महादेव प्रसाद यादव आदि समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर नारी मौजूद थे।
एन के सुशील
कोशी की आस@सुपौल