बैशाखी व मिथिला के पावन पर्व जुड़ शीतल के अवसर पर बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ मूल के जिला प्रवक्ता सह सोशल मीडिया प्रभारी नरेश कुमार निराला ने देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि बैसाखी सिखों का पवित्र त्योहार है। बैसाखी पर सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं। यह पर्व कृषि से भी जुड़ा है क्योंकि इसे रबी की फसल पकने के मौके पर मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष भजन कीर्तन होते हैं। लेकिन इस बार कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण सभी धार्मिक स्थल बंद हैं।ऐसे में इस पर्व को अपने घरों में रहकर हीं मनाये।
श्री निराला ने कहा कि मिथिला के पावन भूमि त्यौहारों के लिए चर्चित है।उन्होंने कहा कि आस्था और विश्वास का महापर्व सत्तुआनी आज है। सतुआनी में जौ से बनी सत्तू खाने की परंपरा है। सत्तू, गुड़ और चीनी से पूजा होती है।इसके एक दिन बाद 14 अप्रैल को जूड़ शीतल का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन पेड़ में बासी जल डालने की भी परंपरा है। जुड़ शीतल का त्योहार बिहार में हर्षोलास के साथ मनाया जाता है।
पर्व के एक दिन पूर्व मिट्टी के घड़े या शंख जल को ढंककर रखा जाता है, फिर जुड़ शीतल के दिन सुबह उठकर पूरे घर में जल का छींटा देते हैं। मान्यता है की बासी जल के छींटे से पूरा घर और आंगन शुद्ध हो जाता है। ये भी मान्यता है की जब सूर्य मीन राशि को त्याग कर मेष राशि में प्रवेश करता है तो उसके पुण्यकाल में सूर्य और चंद्र की रश्मियों से अमृतधारा की वर्षा होती है, जो आरोग्यवर्धक होता है।इसलिए इस दिन लोग बासी खाना भी खाते हैं। इस मौके पर श्री निराला ने शिक्षक, अभिभावक, छात्र छात्राओं के साथ बिहार वासियों को बधाई दी है।उन्होंने कहा कि लॉक डाउन में रहकर सोशल डिस्टेंसींग में अपने परिवार के साथ शांति से रहकर कोरोना वायरस महामारी से डटकर मुकाबला करे।
एन के सुशील
कोशी की आस@सुपौल