सोनु आलम बलुआ बाजार
कोशी की आस@सुपौल
बलुआ बाजार स्थित दुर्गा मंदिर की अपनी एक अलग पहचान है।जानकारों का कहना है कि बलुआ बाजार स्थित दुर्गा मंदिर में अनंन्त काल से ही पुजा होती आ रही है। जो भी भक्त माँ की दरबार में सच्चे दिल व विश्वास के साथ पुजा -अर्चना के लिए पहुँचते हैं उनकी सारी मुरादें पुरी होती हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बलुआ बाजार स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर परिषर में आज से नहीं बल्कि अंग्रेजों के जमाने के पूर्व से ही मंदिर में पुजा -अर्चना की प्रथा चली आ रही है।
एक समय था जब बलुआ होकर कोशी की धारायें बहा करती थी उस समय मंदिर में लोग कोशी के तट से कास काटकर फूस की झोपड़ी का निर्माण कर माँ जगदंम्बे की पुजा -अर्चना किया करते थे । फिर आज से लगभग दो दशक पूर्व टिन के सेड का निर्माण किया गया था। लेकिन बीते वर्ष 2002 में ग्रामिणों ने चंदा -चिट्ठा करके मंदिर को पक्कीकररण किया गया जो आज बलुआ पंचायत के कई गाँवों का आकर्षण का केन्द्र माना जाता है। पिछले 40 वर्षो से बलुआ बाजार निवासी इन्द्रमोहन मिस्र एवं सुरेंद्र दत्त की देखरेख में पूजा हुआ करता था जिसमें खास बात यह थी कि उस वक्त ना तो कोई कमेटी था और ना ही कोई सक्रिय सदस्य था।