एन के शुशील
मुख्यालय बाजार के पश्चिमी भाग स्थित बहरखेर टोला की ईंट सोलिंग सड़क कुशहा त्रासदी के जख्म के दस साल बीत जाने के बाद भी अब तक उबर नहीं पाया है। इसके कारण सड़क की स्थिति काफी जर्जर बनी हुई है। इधर, दो दिनों से हो रही रुक-रुक के बारिश के कारण लोगों को पैदल चलने वालों को भी भारी दिक्क्त हो रही है। त्रासदी के समस्या के समाधान नहीं होने के कारण अभी भी लोगों को जैसे-तैसे आवागमन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। मुख्यरूप से चुन्नी, झखाड़गढ़, भट्टाबाड़ी, सोहडवा, रामपुर, कटहरा आदि पंचायतों के लोगों के आवागमन के लिए सरल मार्ग माने जाने वाली इस मार्ग की इस कदर नजर अंदजागी जनप्रतिनिधियो तथा पदाधिकारियों द्वारा किये जाने से लोगों में काफी गुस्सा है।
प्रखण्ड मुख्यालय से सीधे तौर पर जुड़ने वाली इस ईंट सोलिंग सड़क के वर्षो से जगह-जगह जर्जर रहने के कारण न केवल दो पहिया वाहन चालको को व्यापक परेशानी से जूझना पड़ता है बल्कि पैदल चलने वालो को भी जगह जर्जर स्थान पर जलजमाव के कारण दिक्कत होती है। समाज सेवी रवि रौशन कुमार समेत ग्रामीण नागेश्वर यादव, विकाश सिंह, भरत साह, मीणा देवी, सोनू कुमार, विकाश कुमार, सरोज कुमार, पिंकी कुमारी, सुषमा कुमारी, ज्योति कुमारी, पवन साह, संतोष सिंह, काजल कुमारी, रूपा सिंह, सोनू प्रसाद आदि ने बताया कि इस मार्ग से कोशी की बिभिषिका से पहलें चार चक्का वाहनों का नित्य आना-जाना बना रहता था। लेकिन साल 2008 में आयी प्रलयकारी बाढ़ से सड़क को व्यापक क्षति पहुंची। जिसके कारण हजारों लोगो का सुलभ मार्ग माने जाने वाली यह सड़क न केवल जर्जर हो गया बल्कि पूर्व की अपेक्षा इस मार्ग की अहमियत ख़त्म हो गयी है क्योंकि यहाँ के चार से पांच किलोमीटर के नजदीकी मार्ग को छोड़कर वाहन चालक को 14 से 16 किलोमीटर की दूरी तय कर गिरिधर पट्टी, चुन्नी मार्ग से आना जाना शुरू कर दिया। इसके बाबजूद त्रासदी में ध्वस्त हुए जर्जर सड़क की मरम्मती कार्य नहीं किया गया। लोगों ने बताया कि इसी मार्ग से होकर अधिकांस लोगों को ग्रामीण नहर पर भी छठ पूजा में जाना होना है। बाबजूद इस मार्ग की बदहाली पर किसी ने ध्यान देना मुनासिब अब तक नही समझा है। ग्रामीणों ने कहा कि बीडीओ से भी इस बाबत कई मरतवा इस समस्या के समाधान की मांग की गयी है। इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है।