सुपौल : बिजली की अ-व्यवस्था से परेशान आम-जनमानस

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सोनू आलम /बलराम कुमार

 

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जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत लगभग  सभी पंचायतों में बिजली नहीं रहने से आम जनमानस विगत तीन दिनों से काफी परेशान हैं। एक तरफ जहाँ सरकार द्वारा गाँव-गाँव बिजली पहुँचाने का दावा किया जा रहा है, वहीं जहाँ पहले से बिजली उपलब्ध है, वहाँ नियमित रूप से आपूर्ति नहीं की जा रही है।

 

गाँवों में बिजली आ जाने से और 21वीं सदी में बढ़ते तकनीक के प्रयोग से अधिकांश लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बिजली पर निर्भर हो गया है, चाहे वो मोबाइल चार्ज करने की बात हो, टीवी पर कार्यक्रम देखने का हो या फ्रिज का इस्तेमाल हो आदि। मजेदार बात यह है कि मानगंज पश्चिमी भाग के पिलुवाहा पंचायत में 4 तारीख के करीब 8 बजे शाम को बिजली जाने के बाद सुबह करीब 8 बजे आई है।  अंदाजा लगाया जा सकता है कि जुलाई के गर्मी और उसके अंधेरी रात में आम लोगों को कितनी समस्या का सामना करना पड़ता होगा।

इस अंधेरी रात में न खुद की सुरक्षा और न ही समान की सुरक्षा रहती है। कभी भी, कहीं भी, कोई भी अंधेरे का फायदा उठा सकते हैं। लेकिन किसी भी सूरत में मरता तो गरीब, किसान और मजदूर ही। सुशासन बाबू कहतें हैं कि लालटेन-ढिबड़ी का जमाना खत्म हो गया है। लेकिन आए दिन बिजली की जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बयां करती है। और लुका छुपी का खेल तो चलता ही रहता है। नेता, अफसर और अमीर लोग तो जरनेटर, ईनभटर आदि का इस्तेमाल कर AC लगा के चेन की नींद लेते हैं। इन्हें आम जनता से क्या मतलब है?

बिजली कटने के बाद तो लगता है कि एक्सक्यूटिव साहेब, एस डी ओ साहेब, जेई साहेब सभी के सरकारी नम्बर एक साथ कॉब्रेज एरिया से बाहर छुट्टी मनाने चले जाते हैं। और सुपौल को विश्वकर्मा की देन बता चैन की नींद लेते हैं। बिजली कटना एक दिन की बात नहीं है। यह खेल लगातार चल रहा है। थोड़ी सी वर्षा क्या हुई, गहरी नींद में चले जाते हैं। अब देखना है कि सुशासन बाबू के राज में बिजली की विधि व्यवस्था कब तक सुधरती है।

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