सुपौल : हरिहरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य की स्थिति जर्जर

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एन के शुशील

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सुपौल जिले के छातापुर के हरिहरपुर गाँव के उपस्वाथ्य केन्द्र जर्जर अवस्था में है। यहाँ की स्वास्थ्य व्यवस्था एकदम से चरमरा गयी है। इस वजह से पंचायत समेत हरिहरपुर के लोगो को इलाज के लिए 6  से 8  किलो मीटर की दुरी तय करनी पड़ती है। बाबजूद यहाँ के लोगो के दुःख दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। यहाँ बता दें कि  माधोपुर के हरिहरपुर गाँव की उपस्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलते दिख रही है। उपस्वास्थ्य केंद्र अंदर से खंडहर बन चुका है। इस भवन की खिड़की और दरवाजा पूरी तरह से ख़राब हो चूका है। इससे जाहिर होता है कि सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति ग्रामीण क्षेत्रो में कैसी है।

इन दिनों सुपौल जिला पहुंचे स्वाथ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने स्वाथ्य विभाग के अधिकारियो की महत्ती बैठक में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने सम्बन्धी आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए सभी उपस्वाथ्य केन्द्र पर एएनएम की नियुक्ति निश्चित रूप से करने की बात कही थी के बाबजूद यहाँ कि स्थिति में सुधार होते नहीं दिख रहा है। इसी तरह का हाल कमोवेश रतनसार ,राजेश्वरी पश्चिमी, बलुआ के मटियारी गाव, ठुठी पंचायत के चैनपुर गाव, चुन्नी और जीवछपुर पंचायत में बने स्वास्थ्य केंद्र का भी है। यहाँ स्थापित स्वाथ्य केंद्र महज शोभा का केंद्र बना हुआ है। इलाज की विधि व्यवस्था भगवान भरोसे ही होता है। कभी-कभार विशेष कार्यक्रम के तहत आवश्यक शिविर के माध्यम से उपस्वास्थ्य केंद्र में इलाज कार्य किया जाता है। जानकारी अनुसार प्रखण्ड क्षेत्र के 23 पंचायतों में से महज 4 पंचायत के स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम पदस्थापित नहीं है बाँकि 19 पंचायत में एएनएम पदस्थापित है। यहाँ बताया जाना है कि उप स्वास्थ्य केंद में पदस्थापित एएनएम को पंचायत के सभी आँगन बाड़ी केन्द्रों पर साप्ताहिक रूप से टीकाकरण कार्य से जोड़ दिया गया है। इस वजह से भी ग्रामीण क्षेत्र में बना उप स्वाथ्य केंद्र से आम लोगो को कोई फायदा नहीं मिल पाया रहा है। इधर लोगों द्वारा बताया गया है कि टीकाकरण के दौरान एएनएम द्वारा केन्द्रों पर मात्र गर्भवती महिला एवं बच्चो का ही टीकाकरण किया जाता है। गाँव के बीमार रोगियों के लिए मात्र एक ही सहारा मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है। इस बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी नवीन कुमार ने बताया कि 35 के जगह मात्र 29 ही एएनएम के पदस्थापित रहने के कारण ये समस्या बनी है। समस्या समाधान के लिए वरीय अधिकारी को सुचना दी गयी है।  जल्द हर पीएचसी में सुविधा मुहैया किया जायेगा।

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