सुपौल जिले में धड़ल्ले से हो रही पशुओं की तस्करी

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अक्षय कुमार
कोसी की आस@सुपौल।

सुपौल जिला प्रशासन के लाख प्रयास के बावजूद जिले में जारी पशु तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है। पशु तस्करों व पुलिस प्रशासन के बीच तू डाल-डाल तो मै पात-पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। गौरतलब है कि गांवों में रहने वाले लोगों की जीविका का मुख्य साधन पशुपालन है। लेकिन वर्तमान समय में पशु तस्करों की इस पर नजर लग जाने से गांव वाले क्षेत्रों में पशुओं की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही है। वहीं लोगों की मानें तो चारे की समस्या के चलते पशुपालक अपने मवेशियों को तस्करों के हाथों बेच कर अब अपना पुश्तैनी धंधा बदलना चाहते है। लेकिन पशुओं की निरंतर घटती संख्या के चलते गांव मे अब पहले की अपेक्षा काफी कम बन पाता है। पशुपालक कहते है कि गर्मी कि दिनों में चारा-पानी के अभाव में हर वर्ष हजारों पशु काल के गाल में समा जाते हैं। जिससे हर वर्ष पशुपालकों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। पशुपालक अब अपने इस धंधे को बदलना चाहते है। इसी का फायदा उठाते हैं पशुतस्कर।

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इसका नतीजा है कि पशुपालकों से कम दाम पर पशुओं का सौदा कर ले रहे है। पशु तस्कर खरीदे गये पशुओं को आसपास के राज्यों सहित कई देशों में भेजते है। बीते वर्ष जिला पुलिस ने अभियान चलाकर कई पशु तस्करों को पशुओं के साथ दबोच कर उन्हे जेल भेजा था। कुछ दिनों के लिए पशु तस्करी पर नियंत्रण हुआ था। लेकिन पुन: पशु तस्कर अपना पांव पसारना शुरू कर दिये हैं।जिले में पशु तस्करी रोकने के लिए पुलिस एकदम सजग है। पकड़े जाने पर पशु तस्करों की खैर नहीं होगी।

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