सोनू आलम
जिले के बलुआ बाज़ार प्रखंड क्षेत्र में भीषण गर्मी के बाद किसानों के लिए उम्मीद बनकर शुरू हुई बारिश किसानों के चेहरे पर थोड़ी खुशी लाई थी। और किसान जल्दी-जल्दी धान के खेत तैयार कर उसमें धान का बीज डालने लगे। लेकिन अब लगातार चार दिन की बारिश से किसानों के चेहरे को पीले पड़ने लगे।
कहाँ तो किसानों को अपनी फसल सूखने की चिंता सता रही थी कि बारिश नहीं होने से क्या होगा और अब अत्यधिक बारिश से धान बोने की सब तैयारी धरी-की-धरी रह गई। चार दिनों तक हुए लगातार बारिश के कारण चारों तरफ जल जमाव हो गया, जिससे बीज डूब गयीं। हालात ऐसी है कि कई एकड़ जमीन पानी से भरा हुआ है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
आलम ये है कि किसानों के पास पर्याप्त बीज नहीं होने के कारण तथा स्थिति ठीक होने के बाद भी धान की फसल बर्बाद होने का डर सता रहा है। ऐसे में किसान बचे हुए फसल को बचाने में जुटे हुए हैं। हालांकि रविवार से बारिश बंद है, लेकिन खेतों में पानी वैसे ही भरा हुआ है। खेतों में लगे पानी निकलने का आसार भी नजर नहीं आ रहा है। वहीं गेंडा नदी में पानी उफान पर है और चारों तरफ पानी-ही-पानी नजर आता है। ऐसे में किसान को धान की फसल सड़ने और गलने की डर सता रहा है।
प्रखंड क्षेत्र लक्ष्मीनियाँ मधुबनी के अलावे आसपास के दर्जनों गावों के किसानों का मानना है कि लगातार सप्ताह भर से पानी में डूबे रहने से धान के बिचड़े का काफी नुकसान हुआ है। वही खेतों में पानी जमा होने के कारण बिचड़े सड़ या सुख गए हैं। ऐसे में यदि धान की खेती करनी है तो इन बिचड़े की आशा छोड़ दुबारा धान के बिचडे डालने होंगे। इस दौरान क्षेत्र के किसान गणेश मिश्र, बलदेव मंडल, विद्यानंद कामत, कारी मंडल, नित्यानंद मंडल आदि ने बताया कि यदि किसान दुबारा बिचड़ा डालता है तो किसानों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ सकता है। किसानों ने धान के महंगे बीज तथा डीजल खरीदकर बिचड़ा डाला वहीं दूसरी तरफ अधिक पानी होने के कारण बिचड़ा सड़ गया तथा नया बिचड़ा तैयार होने में काफी वक्त लगेगा।