सोनू/अक्षय
कोसी की आस@ छातापुर,सुपौल।
वहम का सागर, अंधा सागर है, जिस पर चलने से आज तक नोका पार नहीं हुआ है। इसलिए मनुष्य को हमेशा क्रोध से बचने की जरूरत है। उक्त बातें शैलेन्द्र साहब ने कही। उन्होंने कहा की संतो की वाणी का मनुष्य अनुसरण कर सदमार्ग पर चलेंगे तो उन्हें अवश्य ही मुक्ति प्राप्त होगी। लेकिन मनुष्य मोह माया के चक्कर में पड़कर मानव जीवन को सफल बनाने का मुख्य उदेश्य भूल जाते है। सत्संग बिना मानव तन को सद्ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न योनियो में भटकाव के बाद मानव रूपी तन मिलता है, जिसका मुख्य उदेश्य प्रभु भक्ति में लीन रहना है। इसलिए मानव तन की सार्थकता को समझकर भक्ति भजन में समय देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भक्ति भजन और सद्कार्य से ही मानव तन को मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रवचन कार्यक्रम को रमाशंकर साहब, असंग स्वरूप साहब, राम स्वरूप साहब, अयोधि साहब, महेंद्र साहब, जय देव साहब आदि संतो ने भी संबोधित करते हुए मानव कल्याणार्थ प्रवचन दिया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर नारी उपस्थित थे। कार्यक्रम के सफल आयोजन में महंत बेचन साहब, बैध नाथ दास, निर्मल कुमार सुशील, राम लखन पासवान, राज किशोर साह, रवि रौशन, भुवन ठाकुर आदि सक्रिय थे।