विधिवत मनाया गया अनंत चतुर्दशी, हिंदू धर्म में आदिकाल से ही यह मान्यता प्रचलित है।

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एन के शुशील
कोसी की आस@ सुपौल

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जिले में अनंत पूजा विधि पूर्वक गुरुवार को मनाया गया। जिसके तहत पंडित पुजारियों द्वारा सुबह में अनंत पूजनोत्सव और कथा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें श्रद्धालु भाग लेकर अनंत की पूजा अर्चना कर उन्हें अपने-अपने कलाई पर बांध व्रत किया। जबकि इससे पूर्व पंडितों द्वारा भगवान अनंत की कथा का वर्णन किया गया।

मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यह ईश्वर की अनंतता का बोध कराता है। अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म में आदिकाल से ही यह मान्यता प्रचलित है कि संसार को चलाने वाले प्रभु कण-कण में व्याप्त है। ईश्वर जगत में अनंत रूप में विद्यमान हैं। दुनिया की पालनहार प्रभु की अनंत का बोध कराने वाला एक कल्याणकारी व्रत अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। शंकर पुराण ब्रह्मा पुराण भविष्यवाणी पुराण के अनुसार या प्रसाद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं कथा होती है अनंत पूजा की विधि बताते हुए आचार्य ज्योति झा ने कहा कि व्रत पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस दिन भक्तों को कलर्स पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुछ से निर्मित अनंत जी की स्थापना की जाती है। इस कलश के निकट कुमकुम केसर हल्दी एवं रंगीन 14 गांठ वाला अनंत भी रखा जाता है उसके अनंत की वंदना करके भगवान विष्णु का आह्वान तथा ध्यान करके गंध अक्षत पुष्प धूप दीप तथा नवेद से पूजन किया जाता है। इसके बाद कथा वाचन किया जाता है।

तत्पश्चात अनंत देव का पूरा ध्यान मंत्र पढ़कर अपनी दाहिनी भुजा पर बांधनी चाहिए। यह 14 गांठ वाला डोरा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला तथा अनंत फलदायक माना गया है। या अनंत व्रत धन-धान्य की प्राप्ति के कामना के लिए किया जाता है। मान्यता है कि अनंत की 14 गांठ 14 लोगों का प्रतीक है इसमें अनंत भगवान विराजमान होते हैं। आचार्य ने कहा कि अनंत की कथा पूरे परिवार एवं बंधु बांधव के साथ सुनना फलदायक होता है। बाजार स्थित शिव मंदिर में पुजारी गोपाल गोस्वामी और राज किशोर गौस्वामी द्वारा पूजा अर्चना करवाया गया। उधर, पूजा के अवसर पर दो दिवसीय मेला का भी आयोजन भगवान अनंत की प्रतिमा स्थापित कर किया गया है।

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